भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo इन दिनों गंभीर परिचालन संकट से गुजर रही है। नई Flight Duty Time Limitation (FDTL) नियम लागू होने के बाद एयरलाइन अचानक भारीCrew Shortage से जूझ रही है, जिसके चलते उड़ानों में देरी और cancellations तेज़ी से बढ़ गए हैं। जबकि ये नियम सभी एयरलाइनों पर लागू हैं, केवल IndiGo पर इतना ज़्यादा असर क्यों पड़ा—यही सबसे बड़ा सवाल बन गया है।
मुख्य तथ्य
- नई FDTL norms लागू होने के बाद IndiGo में Crew Shortage गहराया।
- बुधवार को 200 से अधिक उड़ानें रद्द, कई 8–10 घंटे तक delayed।
- IndiGo की OTP (on-time performance) 19% तक गिर गई।
- DGCA ने एयरलाइन से रिपोर्ट और mitigation plan मांगा।
- बड़े fleet size, high utilisation model ने IndiGo को अधिक vulnerable बनाया।
नई FDTL (Flight Duty Time Limitation) नियमों के लागू होने के बाद देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo अभूतपूर्व व्यवधान से जूझ रही है। मंगलवार से स्थिति बिगड़नी शुरू हुई और बुधवार को एयरलाइन की लगभग 200 उड़ानें रद्द करनी पड़ीं। कई उड़ानों में 10 घंटे तक देरी हुई। हजारों यात्री प्रभावित हुए और सोशल मीडिया यात्रियों की शिकायतों से भर गया।
IndiGo का देश के घरेलू मार्केट में 60% से अधिक हिस्सा है, इसलिए एयरलाइन में आई कोई भी गड़बड़ी पूरे aviation network पर बड़ा प्रभाव डालती है। DGCA ने एयरलाइन को नोटिस भेजकर पूरे मामले में विस्तृत रिपोर्ट और आगे की mitigation योजना मांगी है।
तो सवाल यह है—नई FDTL rules सभी एयरलाइनों पर लागू हैं, फिर IndiGo पर इतना बड़ा असर क्यों?
इंडिगो क्यों सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ?
- देश में सबसे बड़ा नेटवर्क और सबसे ज्यादा उड़ानें
IndiGo के पास 400 से अधिक aircraft हैं और यह रोज़ाना करीब 2,300 flights ऑपरेट करता है।
किसी भी operational disruption का सीधा असर hundreds of flights पर होता है।
अगर 10% उड़ानें भी रद्द हों, तो यह 230 फ्लाइट्स के बराबर है—जितनी दूसरी एयरलाइनों की पूरी दिनभर की उड़ानें भी नहीं होतीं।
- High Utilisation Model: IndiGo की ताकत अब कमजोरी बनी
IndiGo एक lean staffing और high efficiency मॉडल पर चलता है—यही उसकी profitability की पहचान है।
लेकिन इसी वजह से उसके पास crew buffer बहुत कम है।
जब Duty Hour Limit कम कर दी गई और Weekly Rest बढ़ा दिया गया, Airline के पास तुरंत पर्याप्त Crew उपलब्ध नहीं हुआ।
दूसरी एयरलाइंस पहले ही कम utilisation पर चल रही थीं—इसलिए उन्हें flexibility मिल गई, जबकि IndiGo फंस गया।
- रात वाली उड़ानें (Red Eye Flights) — सबसे बड़ा झटका
नई FDTL rules के तहत:
- Night Landing limit छह से घटाकर दो कर दी गई।
- Night duty hour definition एक घंटे बढ़ा दी गई।
IndiGo की सबसे ज्यादा नाइट फ्लाइट्स होती हैं, जिससे fleet utilisation बढ़ता है।
नए नियम लागू होने के बाद एयरलाइन को तुरंत बड़ी संख्या में रात की उड़ानों में क्रू बदलने पड़े—लेकिन उपलब्ध पायलट नहीं मिले और cancellations शुरू हो गए।
- Second Phase Shock: नवंबर वाला बदलाव सबसे बड़ा कारण
नए FDTL norms 2024 में लागू होने थे, लेकिन airline pushback के कारण टले। 2025 में उन्हें दो phases में लागू किया गया।
- Phase 1 (July) में साप्ताहिक आराम समय बढ़ा।
- Phase 2 (November) में night operation rules लागू हुए — और यहीं IndiGo पिछड़ गया।
एयरलाइन Phase 1 संभाल पाया, लेकिन Phase 2 ने उसके रोस्टर को पूरी तरह झटका दिया।
DGCA को क्या पता चला?
IndiGo ने नवंबर में कुल 1,232 उड़ानें रद्द कीं:
- 755 — Crew और FDTL constraints
- 258 — Airspace/airport restrictions
- 92 — ATC issues
- 127 — miscellaneous reasons
OTP (On-Time Performance):
- October: 84%
- November: 67%
- December first week: 20% तक गिरावट
DGCA अब यह जांच रही है कि:
- क्या IndiGo ने FDTL बदलावों की तैयारी ठीक से की थी?
- क्या airline ने pilot hiring और crew planning में देरी की?
IndiGo का पक्ष: “Unforeseen operational challenges”
एयरलाइन के बयान के अनुसार disruption के कारण:
- तकनीकी गड़बड़ियां
- सर्दी के कारण schedule adjustments
- मौसम
- aviation congestion
- और सबसे अहम — नई FDTL rules
एयरलाइन ने कहा कि अगले 48 घंटों में calibrated schedule adjustments किए जा रहे हैं ताकि operations normal हो सकें।
Pilots का आरोप: “Airline खुद जिम्मेदार है”
दो पायलट यूनियन्स—ALPA और FIP—ने IndiGo पर गंभीर आरोप लगाए।
उनके अनुसार:
- Airline के पास दो साल की तैयारी का समय था, पर hiring freeze लगा दी।
- Pilot pay freeze किया और retention पर निवेश नहीं किया।
- New FDTL लागू होने से पहले leave quotas काटे, फिर leave खरीदने की कोशिश की।
उनका आरोप है कि airline lean manpower strategy से चल रही थी और अब वही उसके खिलाफ जा रही है।
आगे क्या?
DGCA ने संकेत दिए हैं कि:
- Airline के slot allocations की समीक्षा की जा सकती है।
- यदि आवश्यक हुआ तो यात्रियों के हित में स्लॉट दूसरी एयरलाइनों को दिए जा सकते हैं।
IndiGo भी crew रोस्टर मजबूत करने, ATC और एयरपोर्ट कोऑर्डिनेशन बढ़ाने, और disruption management सुधारने के उपाय कर रहा है।


