इंडोनेशिया में छात्र संगठनों ने गुरुवार को राजधानी जकार्ता स्थित संसद भवन के बाहर बड़े पैमाने पर प्रदर्शन का ऐलान किया है। यह विरोध ऐसे समय हो रहा है जब हालिया प्रदर्शनों में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,000 से अधिक घायल हुए हैं।
मुख्य तथ्य
- इंडोनेशिया में पुलिस हिंसा और सरकारी नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन तेज।
- पिछले हफ्ते शुरू हुए आंदोलन में अब तक 10 मौतें और 1,000 से ज्यादा घायल।
- छात्र संगठन BEM SI और मजदूर यूनियन गेब्रक प्रदर्शन में शामिल होंगे।
- 3,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया: ह्यूमन राइट्स वॉच।
- राष्ट्रपति प्रबोवो ने आंदोलन को ‘आतंकवाद और देशद्रोह’ से जोड़ा।
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता एक बार फिर उबाल पर है। गुरुवार को संसद भवन के बाहर छात्र और मजदूर संगठनों के हजारों प्रदर्शनकारी जुटेंगे। आंदोलन का नेतृत्व छात्र संगठनों के गठबंधन BEM SI कर रहा है, जिसने कहा है कि जनता की असली चिंता सड़कों पर हो रहे प्रदर्शनों से नहीं बल्कि भ्रष्टाचार और कानून के राजनीतिकरण से है।

यह प्रदर्शन तब हो रहा है जब पिछले सप्ताह एक पुलिस वाहन की टक्कर से एक मोटरसाइकिल टैक्सी चालक की मौत के बाद विरोध पूरे देश में फैल गया था। पुलिस हिंसा, राज्य खर्च की प्राथमिकताओं और दमनकारी रवैये को लेकर लोगों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है।
अब तक की घटनाएं
मानवाधिकार समूहों के मुताबिक हालिया प्रदर्शनों में 10 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,000 से अधिक घायल हुए हैं। कई जगहों पर हिंसा, लूटपाट और आगजनी की घटनाएं भी सामने आई हैं।
न्यूयॉर्क स्थित संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच ने गुरुवार को कहा कि इंडोनेशियाई अधिकारियों ने अब तक 3,000 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। संगठन ने सरकार को चेतावनी दी है कि प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक बल का प्रयोग और गलत तरीके से गिरफ्तारी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
छात्र संगठनों की मांगें
बुधवार को 10 छात्र यूनियनों ने सांसदों से मुलाकात की और पुलिस हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग की। उन्होंने सांसदों को यह भी याद दिलाया कि जहां नेताओं को भारी-भरकम सुविधाएं मिलती हैं, वहीं आम जनता महंगाई और आर्थिक संकट से जूझ रही है।
हालांकि, संसद के डिप्टी स्पीकर ने सरकार से बैठक कराने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन छात्र संगठन BEM SI के नेता मुज़म्मिल इहसान ने कहा कि अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
सरकार का रुख
राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने स्पष्ट किया है कि पुलिस और सेना हिंसक भीड़ के खिलाफ सख्ती से खड़ी रहेंगी। उन्होंने कुछ प्रदर्शनों को आतंकवाद और देशद्रोह से प्रेरित बताया है। इस बयान ने माहौल को और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया है।
नतीजा
इंडोनेशिया की सड़कों पर एक बार फिर लोकतंत्र, अधिकारों और न्याय को लेकर टकराव साफ दिखाई दे रहा है। छात्र और मजदूर संगठन जहां बदलाव की मांग कर रहे हैं, वहीं सरकार का सख्त रुख हालात को और विस्फोटक बना सकता है।