तमिलनाडु के करूर में सुपरस्टार-से-राजनेता बने विजय की रैली में मची भगदड़ ने 39 लोगों की जान ले ली। महज 10 मिनट में खुशियों का माहौल मातम में बदल गया। अब बड़ा सवाल यह है कि इस त्रासदी के बाद विजय और उनकी राजनीतिक पारी का क्या होगा।
मुख्य तथ्य
- करूर रैली में मची भगदड़ – 39 लोगों की मौत, जिनमें 10 बच्चे और 17 महिलाएँ शामिल।
- विजय की गाड़ी की खिड़की बंद – चेहरा न दिखने पर भीड़ ने रैली स्थल तक पीछा किया।
- गलत घोषणाएँ और पेड़ की शाखा टूटी – अफरा-तफरी बढ़ी और भीड़ बेकाबू हो गई।
- मुख्यमंत्री स्टालिन ने दिया मुआवजा – मृतकों के परिवार को ₹10 लाख, ICU मरीजों को ₹1 लाख।
- जांच आयोग गठित – रिटायर्ड जज अरुणा जगदीशन मामले की जांच करेंगे।
करूर, तमिलनाडु — शनिवार की शाम वह घड़ी तमिलनाडु की राजनीति और फिल्म इंडस्ट्री के लिए काले दिन में बदल गई जब विजय की रैली में भगदड़ मच गई। चंद मिनटों में हालात इतने बिगड़ गए कि लोगों ने एक-दूसरे पर चढ़कर सांस लेने की कोशिश की। वीडियो में साफ देखा गया कि बच्चे बड़ों के कंधों पर चढ़कर विजय की झलक पाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन भीड़ का दबाव, गर्मी और अव्यवस्था ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया।
सूत्रों के मुताबिक, इस त्रासदी की शुरुआत विजय की रैली में शामिल होने के लिए नमक्कल से आए प्रशंसकों से हुई। विजय के काफिले की खिड़की बंद होने के कारण लोग उन्हें देखने के लिए उनके पीछे करूर तक पहुँच गए। वहां पहले से जमा भारी भीड़ में ये लोग भी जुड़ गए और नियंत्रण पूरी तरह से टूट गया।
जब विजय ने भाषण शुरू किया, तभी एक पेड़ की शाखा पर बैठे लोग नीचे गिर पड़े और भगदड़ मच गई। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह हादसे को और भी घातक बनाने वाला पल था। अफरा-तफरी में लोग दब गए और कुछ वहीं पर बेहोश हो गए।
मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन तुरंत करूर पहुँचे और मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर मुआवजे की घोषणा की। उन्होंने साफ किया कि जांच आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही किसी भी तरह की कार्रवाई होगी। हालांकि, करूर के लोगों में गुस्सा इस बात को लेकर और बढ़ा कि विजय घटना के बाद तुरंत करूर छोड़कर चेन्नई लौट आए और मीडिया से दूरी बनाए रखी।
डीजीपी जी. वेंकटारमन ने बताया कि इस कार्यक्रम के लिए 10,000 लोगों की अनुमति थी और 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। लेकिन आयोजकों की गलत घोषणाओं और विजय के देर से पहुँचने के कारण भीड़ सुबह से ही जमा होनी शुरू हो गई थी।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह त्रासदी विजय की राजनीति को नुकसान पहुँचाएगी या उन्हें सहानुभूति दिलाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री स्टालिन विजय की गिरफ्तारी जैसे किसी भी कदम पर सावधानी से विचार करेंगे, क्योंकि इससे जनभावना भड़क सकती है।


