लद्दाख में हिंसा भड़की: प्रदर्शनकारियों ने BJP दफ्तर फूंका

लेह में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों की झड़प, 4 लोगों की मौत; मांग – पूर्ण राज्य का दर्जा और छठवीं अनुसूची लागू हो।

newsdaynight
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लद्दाख हिंसा: राज्य का दर्जा और छठवीं अनुसूची पर बवाल

लद्दाख की राजधानी लेह में सोमवार को हिंसक प्रदर्शन फूट पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और CRPF वाहन को आग के हवाले कर दिया। इस झड़प में 4 लोगों की मौत की खबर है। आंदोलनकारी लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठवीं अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे हैं।

मुख्य तथ्य

  • लेह में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प, 4 की मौत
  • भाजपा कार्यालय और CRPF की गाड़ी को आग के हवाले किया गया
  • प्रदर्शनकारी राज्य का दर्जा और छठवीं अनुसूची लागू करने की मांग कर रहे
  • सोनम वांगचुक के नेतृत्व में डेढ़ साल से जारी आंदोलन
  • सरकार ने समिति बनाई, लेकिन अब तक सहमति नहीं बन सकी

लद्दाख में लंबे समय से simmer हो रहा असंतोष आखिरकार हिंसा में बदल गया। लेह में सोमवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़प हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय में आग लगा दी और पुलिस पर पत्थरबाजी की। CRPF की एक गाड़ी को भी आग के हवाले कर दिया गया।

प्रदर्शनकारी लद्दाख को दोबारा पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन किया गया और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। उस समय सरकार ने कहा था कि हालात सामान्य होने पर राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा, लेकिन अब तक यह वादा अधूरा है। यही वजह है कि लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

लद्दाख हिंसा: राज्य का दर्जा और छठवीं अनुसूची पर बवाल
लद्दाख हिंसा: राज्य का दर्जा और छठवीं अनुसूची पर बवाल

लद्दाख के प्रदर्शनकारियों की दो मुख्य मांगें हैं—पहली, राज्य का दर्जा बहाल किया जाए और दूसरी, संविधान की छठवीं अनुसूची लागू की जाए। छठवीं अनुसूची लागू होने पर आदिवासी बहुल क्षेत्रों को विशेष अधिकार मिलेंगे, जैसे स्वायत्त जिला परिषद बनाने और भूमि, जल, वनों से जुड़े कानून बनाने का अधिकार। फिलहाल यह व्यवस्था पूर्वोत्तर के राज्यों—असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में लागू है।

इसके अलावा आंदोलनकारी लेह और करगिल को अलग-अलग लोकसभा सीट बनाने की मांग कर रहे हैं। वर्तमान में पूरे लद्दाख के लिए केवल एक सीट है। अनुच्छेद 370 हटने से पहले लद्दाख में चार विधानसभा सीटें थीं, लेकिन अब एक भी नहीं बची है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अब पूरा प्रशासन नौकरशाही के हाथ में है और आम लोगों की आवाज़ दब गई है।

इस आंदोलन की अगुवाई समाजसेवी सोनम वांगचुक कर रहे हैं, जो डेढ़ साल से लगातार विरोध दर्ज करा रहे हैं। मार्च 2024 में उन्होंने 21 दिन का आमरण अनशन किया था। इसके बाद सितंबर 2024 में उन्होंने लेह से दिल्ली तक पदयात्रा भी की थी, जिसके दौरान उन्हें दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। वांगचुक लगातार शांतिपूर्ण आंदोलन पर ज़ोर देते रहे हैं, लेकिन ताज़ा हिंसा ने आंदोलन की दिशा बदल दी है।

सरकार ने जनवरी 2024 में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। समिति ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता की, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 में लद्दाख में पांच नए जिलों के गठन की घोषणा जरूर की, लेकिन आंदोलनकारियों ने इसे उनकी असली मांगों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया।

हिंसा के बाद सोनम वांगचुक ने आमरण अनशन खत्म कर दिया और कहा, यह लद्दाख के लिए दुख का दिन है। हमने शांति का रास्ता चुना था, लेकिन अब हिंसा और आगजनी हो रही है। मैं युवाओं से अपील करता हूं कि यह बेवकूफी बंद करें।”

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