बॉलीवुड की धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित ने हाल ही में अपने करियर से जुड़ा एक दिलचस्प खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने ज़्यादातर काम समय के पाबंद कलाकारों के साथ किया और ऐसे सितारों से दूरी रही जो सेट पर देर से पहुंचने के लिए मशहूर थे।
मुख्य तथ्य
- माधुरी ने अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ को बताया सबसे पंक्चुअल
- गोविंदा के साथ उन्होंने सिर्फ कुछ ही फिल्में कीं
- माधुरी ने कहा कि समय पर आने वाले कलाकारों से काम आसान हो जाता है
- गोविंदा ने पहले खुद देर से आने की बात स्वीकार की थी
- 90 के दशक की हिट जोड़ियों के पीछे अनुशासन भी बड़ी वजह रहा
माधुरी दीक्षित ने क्या कहा?
हाल ही में एक इंटरव्यू में माधुरी दीक्षित ने 90 के दशक के अपने सह-कलाकारों को लेकर खुलकर बात की। जब उनसे गोविंदा जैसे सितारों के साथ काम करने के अनुभव के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें राहत है कि उनका ज़्यादातर करियर ऐसे अभिनेताओं के साथ बीता जो हमेशा समय पर सेट पर पहुंचते थे।
माधुरी ने कहा कि अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ के साथ काम करते समय कभी देर की समस्या नहीं आई, जिससे शूटिंग का माहौल सहज और प्रोफेशनल रहता था।
अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ के साथ मजबूत जोड़ी
माधुरी दीक्षित और अनिल कपूर की जोड़ी ने फिल्मों में ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल की। ‘तेज़ाब’, ‘बेटा’, ‘किशन कन्हैया’, ‘खेल’ और बाद में ‘पुकार’ जैसी फिल्मों ने दोनों को सुपरहिट जोड़ी बना दिया।
इसी तरह जैकी श्रॉफ के साथ ‘त्रिदेव’, ‘राम लखन’, ‘खलनायक’ और ‘देवदास’ जैसी फिल्मों में माधुरी की केमिस्ट्री दर्शकों को खूब पसंद आई।
माधुरी का मानना है कि ऑन-स्क्रीन तालमेल के साथ-साथ ऑफ-स्क्रीन अनुशासन भी इन जोड़ियों की सफलता की बड़ी वजह रहा।
गोविंदा के साथ सीमित काम
इसके उलट, माधुरी और गोविंदा की जोड़ी बहुत ज्यादा फिल्मों में नहीं दिखी। दोनों ने ‘पाप का अंत’, ‘इज्जतदार’ और ‘महा-संग्राम’ जैसी कुछ फिल्मों में साथ काम किया।
हालांकि, फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ का गाना “मखना” आज भी बेहद लोकप्रिय है, जिसमें अमिताभ बच्चन के साथ तीनों कलाकारों ने शानदार परफॉर्मेंस दी थी।
माधुरी ने संकेत दिया कि सेट पर देर से आने की आदतें कई बार काम को मुश्किल बना देती हैं, इसलिए ऐसे कलाकारों के साथ लंबे समय तक काम करना आसान नहीं होता।
गोविंदा ने क्या सफाई दी थी?
कुछ समय पहले गोविंदा ने खुद यह स्वीकार किया था कि वह सेट पर समय से नहीं पहुंचते थे। उन्होंने बताया था कि वह अपने अभिनय के “सुर-ताल” ठीक करने को प्राथमिकता देते थे और जब तक मानसिक रूप से तैयार न हों, तब तक शूटिंग शुरू नहीं करते थे।
गोविंदा ने यह भी कहा था कि उस दौर में उनके पास एक साथ कई फिल्में होती थीं, जिससे शेड्यूल संभालना मुश्किल हो जाता था। दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार की सलाह पर उन्होंने कई फिल्में छोड़ीं ताकि खुद को संभाल सकें।
अनुशासन क्यों है ज़रूरी?
माधुरी दीक्षित के बयान से यह साफ होता है कि फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिभा के साथ-साथ समय की पाबंदी भी उतनी ही अहम है।
एक बड़े स्टार के देर से आने से पूरी यूनिट प्रभावित होती है, जबकि समय पर काम करने वाले कलाकार माहौल को बेहतर बनाते हैं। शायद यही वजह रही कि माधुरी का करियर न सिर्फ सफल रहा, बल्कि बेहद सम्मानजनक भी माना जाता है।


