मार्क जुकरबर्ग बनाम मार्क जुकरबर्ग: वकील ने Meta पर ठोका मुकदमा

इंडियाना के दिवालियापन वकील मार्क एस. जुकरबर्ग ने Meta पर आरोप लगाया कि कंपनी ने उनका अकाउंट "सेलिब्रिटी की नकल" बताकर बार-बार बंद किया और 11,000 डॉलर की विज्ञापन राशि भी वापस नहीं की।

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मार्क जुकरबर्ग नाम विवाद: वकील ने Meta पर केस किया

दुनिया के सबसे चर्चित नामों में से एक से नाम साझा करना हमेशा फायदे का सौदा नहीं होता। इंडियाना के दिवालियापन वकील मार्क एस. जुकरबर्ग ने सोशल मीडिया दिग्गज Meta के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि कंपनी ने उनके फेसबुक अकाउंट को कई बार “मार्क ई. जुकरबर्ग की नकल” बताकर बंद कर दिया और उनके विज्ञापन खर्च की बड़ी रकम भी वापस नहीं की।

मुख्य तथ्य

  • वकील मार्क एस. जुकरबर्ग का दावा—Meta ने उनके फेसबुक अकाउंट 9 बार बंद किए।
  • कंपनी ने “सेलिब्रिटी की नकल” और “फर्जी नाम” के आरोप लगाए।
  • वकील ने फेसबुक पर अपनी लॉ फर्म का विज्ञापन करने में लगभग 11,000 डॉलर खर्च किए।
  • बार-बार अकाउंट बंद होने से वकील को प्रतिस्पर्धा में नुकसान झेलना पड़ा।
  • Meta ने कहा—अकाउंट गलती से डिसेबल हुआ था, जिसे अब बहाल कर दिया गया है।

इंडियाना के दिवालियापन वकील मार्क एस. जुकरबर्ग और Meta के सीईओ मार्क ई. जुकरबर्ग के बीच अब कानूनी जंग छिड़ गई है। समान नाम होने के कारण वकील का दावा है कि फेसबुक ने बीते आठ सालों में उनकी प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों अकाउंट्स कुल 9 बार डिसेबल किए।

वकील का कहना है कि हर बार Meta ने उन पर “सेलिब्रिटी की नकल” करने और “फर्जी नाम” इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं, उन्होंने फेसबुक पर अपनी लॉ फर्म का प्रमोशन करने के लिए 11,000 डॉलर (करीब 9 लाख रुपये) खर्च किए, लेकिन अकाउंट बंद होने के बावजूद Meta ने यह रकम वापस नहीं की।

मार्क एस. जुकरबर्ग के मुताबिक, अकाउंट बहाल करने में कंपनी को कई बार 4 से 6 महीने तक का समय लग गया। इस दौरान उन्हें बार-बार ड्राइविंग लाइसेंस, क्रेडिट कार्ड की तस्वीरें और वीडियो वेरिफिकेशन जमा करना पड़ा। उनका कहना है कि ऑनलाइन उपस्थिति खत्म होने से उनके बिज़नेस को भारी नुकसान हुआ, क्योंकि प्रतियोगी लगातार फेसबुक पर विज्ञापन कर क्लाइंट्स हासिल कर रहे थे।

उन्होंने कहा—“मैंने फेसबुक पर क्लाइंट्स पाने के लिए पैसे खर्च किए, लेकिन हर बार मेरा अकाउंट बंद कर दिया गया। यह न तो न्यायसंगत है और न ही सही।”

दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं है जब वकील जुकरबर्ग को गलतफहमी का शिकार होना पड़ा। 2020 में वॉशिंगटन राज्य ने उन पर मुकदमा ठोक दिया था, यह मानकर कि वे Meta के सीईओ हैं। इसके अलावा, उनके निजी वेबसाइट के अनुसार, उन्हें हर रात फोन बंद करना पड़ता है क्योंकि उन्हें लगातार लोगों से कॉल, फ्रेंड रिक्वेस्ट और यहां तक कि फेसबुक सुधारने के सुझाव तक मिलते हैं।

Meta का कहना है कि वकील का अकाउंट गलती से डिसेबल हुआ था और अब इसे दोबारा सक्रिय कर दिया गया है। हालांकि, यह मामला टेक कंपनी के लिए नए सवाल खड़े करता है—क्या Meta को उन ग्राहकों की विज्ञापन राशि लौटानी चाहिए जिनके अकाउंट बाद में बंद कर दिए जाते हैं?

SOURCES:Fortune
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