सोशल मीडिया दिग्गज Meta एक बार फिर गंभीर विवाद में घिर गया है। Reuters की एक जांच रिपोर्ट के मुताबिक, Meta ने अपने प्लेटफॉर्म Facebook और Instagram पर लंबे समय तक फर्जी और प्रतिबंधित विज्ञापनों को चलने दिया, जिससे कंपनी ने अरबों डॉलर की कमाई की। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनी को अंदर से चेतावनियां मिलने के बावजूद जरूरी सुधारों में देरी की गई।
मुख्य तथ्य
- Meta पर फर्जी विज्ञापनों से $3 अरब से ज्यादा कमाने का आरोप
- कुल विज्ञापन आय में 10% से अधिक हिस्सा संदिग्ध स्रोतों से
- बड़ी संख्या में घोटाले वाले विज्ञापन चीन से जुड़े
- अंदरूनी टीम ने खतरे को लेकर चेताया था
- बाद में एंटी-फ्रॉड टीम को रोक दिया गया
Reuters की जांच में क्या सामने आया
Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, Meta ने बीते चार वर्षों में अपने अलग-अलग विभागों द्वारा तैयार किए गए आंतरिक दस्तावेजों के आधार पर यह जांच की। इन दस्तावेजों में इंजीनियरिंग, फाइनेंस, सुरक्षा और नीति से जुड़े विभागों की रिपोर्ट शामिल थीं।
इनसे संकेत मिलता है कि कंपनी को यह जानकारी थी कि उसके प्लेटफॉर्म पर स्कैम, अवैध जुए, अश्लील सामग्री और प्रतिबंधित उत्पादों के विज्ञापन बड़ी संख्या में चल रहे हैं, फिर भी उन्हें पूरी तरह रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए।
चीन से जुड़े विज्ञापनों की बड़ी भूमिका
रिपोर्ट में कहा गया है कि Meta ने पिछले साल चीनी कंपनियों से विज्ञापन दिखाकर लगभग $18 अरब की कमाई की, जो कंपनी की वैश्विक आय का एक बड़ा हिस्सा है।
हालांकि Facebook, Instagram और WhatsApp चीन में प्रतिबंधित हैं, लेकिन वहां की सरकार चीनी कंपनियों को विदेशी उपभोक्ताओं के लिए विज्ञापन देने की अनुमति देती है।
आंतरिक दस्तावेजों के अनुसार, Meta के प्लेटफॉर्म पर चलने वाले करीब 25% फर्जी और प्रतिबंधित विज्ञापन चीन से जुड़े पाए गए।
$3 अरब की कमाई और अंदरूनी चेतावनी
Reuters का दावा है कि Meta ने केवल फर्जी विज्ञापनों से $3 अरब से अधिक की कमाई की।
कंपनी के कर्मचारियों ने आंतरिक बैठकों में चेताया था कि अगर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे उपयोगकर्ताओं को गंभीर नुकसान हो सकता है।
एक प्रस्तुति में कर्मचारियों ने यहां तक कहा कि “नुकसान को रोकने के लिए बड़ा निवेश जरूरी है”, लेकिन ऐसे कदमों से कंपनी की आय पर असर पड़ने की आशंका थी।
एंटी-फ्रॉड टीम बनी, फिर अचानक रोकी गई
आंतरिक दबाव के बाद Meta ने एक एंटी-फ्रॉड टीम बनाई, जिसका मकसद खासतौर पर चीन से आने वाले संदिग्ध विज्ञापनों पर नजर रखना था।
इसका असर भी दिखा और ऐसे विज्ञापनों से होने वाली आय 19% से घटकर 9% रह गई।
लेकिन Reuters के अनुसार, 2024 के अंत में Meta प्रमुख मार्क जुकरबर्ग के निर्देश पर इस टीम का काम रोक दिया गया और बाद में टीम को भंग कर दिया गया।
इसके कुछ ही महीनों बाद फर्जी विज्ञापनों से होने वाली आय फिर बढ़कर 16% तक पहुंच गई।
Meta का पक्ष क्या है
Meta के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने Reuters से कहा कि एंटी-फ्रॉड टीम एक अस्थायी व्यवस्था थी।
उनका दावा है कि जुकरबर्ग ने टीम को बंद करने के लिए नहीं, बल्कि दुनिया भर में, चीन सहित, धोखाधड़ी कम करने के प्रयास तेज करने को कहा था।
Meta का यह भी कहना है कि उसने पिछले 18 महीनों में 4.6 करोड़ विज्ञापन हटाए और कई चीनी एजेंसियों के साथ काम बंद किया।
कर्मचारियों के आंतरिक आकलन
Reuters के मुताबिक, कंपनी के अंदरूनी दस्तावेजों में चीन को Meta का सबसे बड़ा “Scam Exporting Nation” बताया गया है।
इन रिपोर्टों में कहा गया है कि Facebook, Instagram और WhatsApp पर फैलने वाले सबसे ज्यादा धोखाधड़ी वाले विज्ञापन वहीं से आते हैं।
हालांकि Meta ने Reuters के कई सवालों का सीधा जवाब नहीं दिया, जिससे विवाद और गहरा गया है।


