मुख्य तथ्य
- पीएम मोदी 26 सितंबर को न्यूयॉर्क में UNGA को संबोधित करेंगे।
- 23 सितंबर को ट्रंप भी UNGA में देंगे भाषण।
- भारत-अमेरिका व्यापार तनाव कम करने के लिए होगी उच्चस्तरीय बैठक।
- ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया, बातचीत से हल की उम्मीद।
- रूस-यूक्रेन संघर्ष रोकने के प्रयास भी एजेंडे में शामिल।
विस्तृत रिपोर्ट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले महीने एक बार फिर अमेरिका की यात्रा पर जा सकते हैं, जहां उनका मुख्य कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भाषण देना होगा। लेकिन इस दौरे की असली सुर्खियां उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होने वाली मुलाकात को लेकर हैं। सूत्रों के मुताबिक, न्यूयॉर्क में निर्धारित इस यात्रा का एजेंडा सिर्फ कूटनीतिक भाषण तक सीमित नहीं होगा, बल्कि इसमें व्यापार तनाव कम करने और नए समझौते की दिशा में ठोस कदम उठाने की कोशिश होगी।
UNGA में भारत की आवाज़
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय से पीएम मोदी के लिए भाषण का समय तय करने का अनुरोध किया था, जिसे 26 सितंबर की सुबह के लिए तय किया गया है। वहीं, ट्रंप 23 सितंबर को महासभा को संबोधित करेंगे। परंपरा के मुताबिक, प्रत्येक देश को प्रतिनिधित्व स्तर के अनुसार 15 मिनट का समय मिलता है।
ट्रंप से अहम वार्ता की उम्मीद
हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत असफल रही थी। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया — जिसमें 7 अगस्त से 25% और 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% शामिल है। बताया जा रहा है कि ट्रंप भारत के रूस से तेल व्यापार को लेकर भी नाराज हैं। पीएम मोदी इस बैठक में टैरिफ कम करने और नए व्यापार नियमों पर सहमति बनाने की कोशिश करेंगे। अगर बातचीत सफल रही, तो एक नए व्यापार समझौते की घोषणा संभव है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष भी एजेंडे में
सूत्रों का कहना है कि मोदी अपने इस दौरे में रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए मध्यस्थता के प्रयास भी कर सकते हैं। यह पहल भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति और आर्थिक स्थिरता के लिहाज से फायदेमंद होगी।
पिछला दौरा
फरवरी में हुए अपने पिछले अमेरिकी दौरे में पीएम मोदी और ट्रंप ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य तय किया था। उस समय यह भी सहमति बनी थी कि सितंबर में व्यापार समझौते पर पहली चरण की वार्ता होगी — और अब वही अवसर सामने है।
यह दौरा न केवल कूटनीतिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी भारत के लिए अहम साबित हो सकता है।