केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अंडमान बेसिन में प्राकृतिक गैस मिलने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह खोज भारत की ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भरता के लिए ऐतिहासिक साबित होगी।
मुख्य तथ्य
- अंडमान द्वीपसमूह के पूर्वी तट से 17 किमी दूर प्राकृतिक गैस की खोज।
- श्री विजयपुरम-2 कुएं की गहराई 2,650 मीटर, जल गहराई 295 मीटर।
- प्रारंभिक परीक्षण में 87% मीथेन युक्त गैस की पुष्टि।
- खोज का वाणिज्यिक मूल्यांकन आने वाले महीनों में होगा।
- पीएम मोदी की “राष्ट्रीय गहरे पानी अन्वेषण मिशन” का हिस्सा।
भारत की ऊर्जा खोज में एक बड़ा मील का पत्थर हासिल हुआ है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने घोषणा की है कि अंडमान सागर में प्राकृतिक गैस का भंडार मिला है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि अंडमान सागर में ऊर्जा के असीम अवसर खुल गए हैं।
कहाँ और कैसे मिली गैस
यह खोज श्री विजयपुरम-2 कुएं में हुई है, जो अंडमान द्वीपसमूह के पूर्वी तट से लगभग 9.20 नौटिकल मील (करीब 17 किमी) की दूरी पर स्थित है। कुएं की गहराई 2,650 मीटर और जल गहराई 295 मीटर है। प्रारंभिक परीक्षण में 2,212 से 2,250 मीटर की गहराई पर गैस मिलने की पुष्टि हुई, जिसमें इंटरमिटेंट फ्लेयरिंग देखी गई।
गैस की गुणवत्ता
मंत्री पुरी ने बताया कि गैस के नमूने जहाज से काकीनाडा भेजे गए, जहां परीक्षण में यह पाया गया कि इसमें 87% मीथेन मौजूद है। विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले महीनों में इस गैस पूल के आकार और इसकी वाणिज्यिक उपयोगिता का आकलन किया जाएगा। हालांकि, अंडमान बेसिन में हाइड्रोकार्बन की मौजूदगी ने लंबे समय से चली आ रही वैज्ञानिक मान्यता को मजबूत कर दिया है।
पड़ोसी देशों जैसा भंडार
पुरी ने कहा कि यह खोज म्यांमार से लेकर इंडोनेशिया तक फैले प्राकृतिक गैस-समृद्ध क्षेत्र की ही कड़ी है। अंडमान बेसिन का यह हिस्सा अब भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
राष्ट्रीय गहरे पानी अन्वेषण मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में स्वतंत्रता दिवस पर “राष्ट्रीय गहरे पानी अन्वेषण मिशन” (Samudra Manthan) की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य देश के समुद्री इलाकों में तेल और गैस के नए भंडार तलाशना है। इस खोज को उसी मिशन का हिस्सा माना जा रहा है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इस खोज से भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में नई उम्मीद जगी है। वैश्विक विशेषज्ञों की मदद से ऑफशोर बेसिन में गहरे पानी की खोज और आगे बढ़ाई जाएगी। इसे “अमृत काल” की यात्रा में देश की बड़ी उपलब्धि बताया जा रहा है।


