मुख्य तथ्य
- लोकसभा ने नया आयकर विधेयक 2025 ध्वनिमत से पारित किया।
- 1961 के आयकर अधिनियम की जगह लेगा नया कानून।
- प्रवर समिति ने दिए 285 सुझाव, जिनमें ITR रिफंड नियम में ढील शामिल।
- टैक्स भुगतान प्रक्रिया होगी पूरी तरह डिजिटल और सरल भाषा में कानून।
- धार्मिक ट्रस्टों के गुमनाम दान पर टैक्स से छूट बरकरार।
विस्तृत रिपोर्ट
लोकसभा ने सोमवार को नया आयकर विधेयक 2025 ध्वनिमत से पारित कर दिया, जो देश में लागू 1961 के पुराने आयकर अधिनियम को पूरी तरह बदल देगा। इस विधेयक को पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह नया मसौदा भ्रम को कम करेगा, भाषा को सरल बनाएगा और टैक्स प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाएगा।
फरवरी में पेश पुराने मसौदे को 8 अगस्त को वापस ले लिया गया था, ताकि प्रवर समिति की सिफारिशें इसमें जोड़ी जा सकें। भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली समिति ने कुल 285 सुझाव दिए, जिनमें से कई सीधे करदाताओं के हित से जुड़े हैं।
सबसे अहम बदलाव
सबसे बड़ा बदलाव ITR रिफंड नियम में किया गया है। पहले नियत तारीख के बाद रिटर्न भरने पर रिफंड नहीं मिलता था, लेकिन अब यह प्रावधान हट जाएगा। इसके अलावा, धार्मिक ट्रस्टों को मिलने वाले गुमनाम दान पर टैक्स नहीं लगेगा। आय निर्धारण मामलों में भी अधिकारियों को पहले नोटिस देकर जवाब लेने और फिर कार्रवाई करने का प्रावधान किया गया है।
भाषा और तकनीक में सुधार
पुराने अधिनियम की जटिल कानूनी शब्दावली को आसान और स्पष्ट हिंदी-अंग्रेजी भाषा में बदला जाएगा। टैक्स भुगतान प्रक्रिया पूरी तरह डिजिटल होगी, जिससे रिटर्न फाइलिंग से लेकर रिफंड तक सभी चरण ऑनलाइन पूरे किए जा सकेंगे। साथ ही, टैक्स स्लैब और दरों को भी सरल बनाया जाएगा।
सुरक्षा और पारदर्शिता
सरकार का दावा है कि नया कानून न केवल तकनीकी रूप से उन्नत होगा, बल्कि करदाताओं और प्रशासन के बीच विवादों को कम करेगा।
विशेषज्ञ की राय
टैक्स पॉलिसी विश्लेषक अरुण कुमार ने कहा —
“नया विधेयक कर प्रणाली को अधिक पारदर्शी और करदाता-हितैषी बनाएगा। डिजिटल प्रोसेस और स्पष्ट नियम टैक्स अनुपालन को आसान करेंगे।”