मुख्य तथ्य
- नेपाल में प्रदर्शनों के दौरान अब तक 19 लोगों की मौत, 100 से अधिक घायल।
- पीएम केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को सौंपा।
- भारत ने अपने नागरिकों से नेपाल की यात्रा टालने और घरों में सुरक्षित रहने की अपील की।
- भारतीय दूतावास ने सहायता हेतु दो हेल्पलाइन नंबर जारी किए।
- नेपाल का यह दशकों का सबसे बड़ा राजनीतिक संकट बताया जा रहा है।
नेपाल इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ देशभर में भड़के प्रदर्शनों ने अब तक 19 लोगों की जान ले ली है और सैकड़ों घायल हुए हैं। हालात बेकाबू होते देख प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्थिति को देखते हुए अपने नागरिकों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय नागरिक नेपाल की यात्रा टाल दें और जो पहले से वहां मौजूद हैं वे घरों से बाहर न निकलें और स्थानीय प्रशासन तथा भारतीय दूतावास की सलाह का पालन करें।
भारतीय दूतावास ने ज़रूरतमंद नागरिकों के लिए दो हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं:
📞 +977–980 860 2881 (व्हाट्सएप उपलब्ध)
📞 +977–981 032 6134 (व्हाट्सएप उपलब्ध)
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, “नेपाल की घटनाओं पर हम लगातार नजर बनाए हुए हैं। कई युवाओं की मौत से हम बेहद दुखी हैं और शोक संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”
ओली का इस्तीफा और राजनीतिक उथल-पुथल
प्रधानमंत्री ओली, जो चौथी बार इस पद पर थे, ने इस्तीफा देते हुए कहा कि वे “संवैधानिक प्रक्रिया के तहत समस्या का राजनीतिक समाधान आसान बनाने के लिए पद छोड़ रहे हैं।” राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने तुरंत इस्तीफा स्वीकार कर लिया और नए नेता के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी।
हालात बिगड़ने पर नेपाल सेना ने भी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर जनता से “संयम बरतने” की अपील की।
दशकों की सबसे बड़ी अशांति
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, काठमांडू की सड़कों पर टायर जलाए गए, पत्थरबाजी हुई और नेताओं के घरों में आगजनी तक हुई। कुछ मंत्रियों को सेना के हेलीकॉप्टर से सुरक्षित निकालना पड़ा।
ट्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी सुरक्षा कारणों से बंद करना पड़ा। गुस्साए युवाओं का कहना है कि यह आंदोलन सिर्फ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं बल्कि व्यापक भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम अपने भविष्य के लिए खड़े हैं। हमें शिक्षा, अस्पताल और रोजगार चाहिए—भ्रष्टाचार मुक्त नेपाल चाहिए।”
यह उथल-पुथल नेपाल के हालिया इतिहास में सबसे बड़े राजनीतिक संकट के रूप में देखी जा रही है। भारत समेत पड़ोसी देशों की नजर अब नेपाल की अगली राजनीतिक दिशा पर है।