नेपाल में पिछले हफ्ते भड़की हिंसा के बाद सरकारी मशीनरी ठप हो गई है। काठमांडू के मंत्रालयों और पुलिस थानों को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। रविवार को जब दफ्तर खुले, तो सरकारी कर्मचारी जली हुई इमारतों के बाहर खड़े होकर हालात का अंदाज़ा लगाते रहे।
मुख्य तथ्य
- नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 72 लोगों की मौत।
- सरकारी मंत्रालय, पुलिस थाने और बैंक जलकर खाक।
- मंत्रालयों के कंप्यूटर, दस्तावेज़ और वाहन नष्ट।
- ठेके पर काम करने वाले ड्राइवर पूरी तरह बेरोजगार।
- पीएम सुशीला कार्की बोलीं—सरकार को नए पुलिस वाहन खरीदने होंगे।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में हिंसा का असर रविवार को स्पष्ट दिखा। मंत्रालयों और सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी काम पर तो पहुंचे, लेकिन उनके पास करने के लिए कुछ नहीं था। स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय के अंडरसेक्रेटरी कपिल तिमल्सेना अपने सहकर्मियों संग मंत्रालय की जली हुई इमारत के बाहर खड़े थे। उनके दफ्तर में न कंप्यूटर बचे, न दस्तावेज़, न ही कोई कामकाजी माहौल।
तिमल्सेना ने कहा, “यह मंत्रालय पूरे देश की स्वास्थ्य नीतियों की योजना बनाता है। लेकिन भीड़ ने यहां तक कि कंप्यूटर और गाड़ियों को भी इकट्ठा करके जला दिया। सचिव की कार तक को आग के हवाले कर दिया गया। अब हमें मंत्रालय चलाने के वैकल्पिक तरीके ढूंढने होंगे।”
ठेकेदार ड्राइवर सबसे ज्यादा प्रभावित
सरकारी मंत्रालयों में कार्यरत ठेकेदार ड्राइवर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। शकल देव मोनाल, जो सड़क विभाग के लिए गाड़ी चलाते थे, अब पूरी तरह बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने कहा, “सरकारी कर्मचारी तो वेतन पाते रहेंगे, लेकिन हम ठेकेदार ड्राइवरों की नौकरी ही खत्म हो गई। कोई भी गाड़ी सुरक्षित नहीं बची।”
मोनाल और उनके साथी रविवार को केवल उपस्थिति दर्ज कराने कार्यालय पहुंचे और बाकी समय भविष्य की अटकलें लगाते रहे।
व्यापक तबाही
पिछले हफ्ते संसद के बाहर शांतिपूर्ण मार्च अचानक हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारी इमारतों के अंदर घुसे और पुलिस-सरकारी वाहनों के साथ मंत्रालयों को भी आग के हवाले कर दिया। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने गोली चलाई, जिसमें कम से कम 72 लोगों की मौत हो गई।
सिंह दरबार परिसर के अंदर स्थित कई मंत्रालयों की इमारतें बुरी तरह जल चुकी हैं। सवाल उठ रहा है कि नई सरकार, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री सुशीला कार्की सोमवार को करने वाली हैं, किस संसद भवन या मंत्रालय से काम करेगी, क्योंकि बुनियादी ढांचा ही खाक हो चुका है।
प्रधानमंत्री की चुनौती
प्रधानमंत्री कार्की ने रविवार को कहा कि सरकार को पूरे देश के लिए नए पुलिस वाहन खरीदने पड़ेंगे। उन्होंने माना कि इस हिंसा ने केवल जनता ही नहीं, बल्कि मंत्रियों और अधिकारियों को भी झुलसा दिया है।
नेपाल में सिर्फ 27 घंटे की इस हिंसा ने सरकारी ढांचे को हिला कर रख दिया है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार जल्द ही व्यवस्था को पटरी पर ला पाएगी या देश लंबे समय तक प्रशासनिक संकट में फंसा रहेगा।


