प्रधानमंत्री ने रक्षा, सेमीकंडक्टर्स, अंतरिक्ष और आर्थिक सहयोग पर दिया ज़ोर
मुख्य तथ्य
- पीएम मोदी ने कहा कि भारत-जापान मिलकर एशिया व दुनिया में शांति और प्रगति के स्तंभ रहेंगे।
- जापानी अख़बार The Yomiuri Shimbun को दिए इंटरव्यू में भारत-जापान संबंधों पर बोले।
- रक्षा, सेमीकंडक्टर्स, अंतरिक्ष और अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने पर फोकस।
- 15वें वार्षिक शिखर सम्मेलन ने रिश्तों की परिपक्वता और नई ऊंचाइयों को दर्शाया।
- पीएम मोदी ने पीएम इशिबा से मुलाकात में साझेदारी के नए चरण पर चर्चा की योजना जताई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि भारत और जापान मिलकर एशिया और दुनिया में शांति, प्रगति और स्थिरता की ताकत बने रहेंगे। जापान के प्रतिष्ठित अख़बार The Yomiuri Shimbun को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने रक्षा, सेमीकंडक्टर्स, अंतरिक्ष और आर्थिक साझेदारी जैसे अहम मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर दिया।
“छोटा दौरा, बड़ा असर”
पीएम मोदी ने इस मुलाक़ात को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि मेरा यह दौरा भले ही छोटा है, लेकिन इसका असर लंबा होगा। भारत और जापान मिलकर एशिया और विश्व में शांति, प्रगति और स्थिरता की ताकत बने रहेंगे।”
भारत-जापान संबंधों की मजबूती
इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और जापान न सिर्फ़ करीबी साझेदार हैं, बल्कि प्राचीन सभ्यताएँ और विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ भी हैं।
उन्होंने याद दिलाया कि बीते दशक में दोनों देशों के रिश्ते नई ऊंचाइयों तक पहुंचे हैं। विशेष रूप से जब इन्हें स्पेशल स्ट्रैटेजिक एंड ग्लोबल पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया।
वार्षिक शिखर सम्मेलन की अहमियत
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 15वां भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों की साझेदारी की परिपक्वता और ऊर्जा को दर्शाता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जापान के प्रधानमंत्री फुमियो इशिबा के साथ मुलाक़ात में साझेदारी के अगले चरण का खाका तैयार किया जाएगा।
फोकस: सुरक्षा, नवाचार और समृद्धि
पीएम मोदी ने बताया कि आने वाले समय में दोनों देशों का फोकस सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक लचीलापन बढ़ाने, नवाचार को प्रोत्साहन देने और नागरिकों तक समृद्धि पहुँचाने पर रहेगा।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पीपल-टू-पीपल कनेक्ट और ग्लोबल साउथ के लिए सहयोग को और मजबूत करना साझेदारी की प्राथमिकता होगी।
ऐतिहासिक साझेदारी का भविष्य
भारत और जापान की साझेदारी न केवल आर्थिक क्षेत्र तक सीमित है, बल्कि यह अंतरिक्ष, तकनीक और भू-राजनीतिक सहयोग तक फैली है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिश्ता एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता और वैश्विक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभा सकता है।