भारत की ओपनर Pratika Rawal, जिन्होंने अपनी ज़िंदगी की शुरुआत दिल्ली के घर की छत पर नेट प्रैक्टिस से की थी, अब ICC Women’s ODI World Cup 2025 में न्यू ज़ीलैंड के खिलाफ शतक लगाकर सेमीफाइनल तक टीम को पहुँचने में अहम भूमिका निभाई हैं। उन्होंने सिर्फ 23वें अंतरराष्ट्रीय इनिंग में 1,000 रन का मुकाम भी हासिल कर लिया है।
मुख्य तथ्य
- प्रतीका रावल ने 23वीं इनिंग में ही महिलाओं की श्रृंखला में 1,000 रन पूरे किए — यह समय सबसे तेज है।
- उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 134 गेंदों में 122 रन बनाए जिसमें 13 चौके और 2 छक्के शामिल थे।
- दिल्ली की छत पर पिताजी द्वारा बनाए नेट में ही उन्होंने सुबह-शाम अभ्यास किया, जहाँ उन्होंने रोज़ाना 400-500 गेंदों का सामना किया।
- उनकी शिक्षिका ने उन्हें “पहली लड़की जिसने उस अकादमी में बुलाया” कहा था — रोहतक रोड जिमखंडाना के कोच ने उनकी तकनीक की तारीफ की।
- उन्होंने मनोविज्ञान में स्नातक किया है और गेम के साथ साथ पढ़ाई को भी बराबरी से निभाया है।
बचपन का सपना, पिता का समर्पण
दिल्ली के वेस्ट पटेल नगर की छत पर लगी हरी जालियों के बीच एक छोटी सी लड़की अपने पिता की थ्रोडाउन गेंदों पर बल्लेबाज़ी करती थी। यही थी प्रतिका रावल, और यही वह जगह थी जिसने उनके क्रिकेट करियर की नींव रखी।
उनके पिता प्रदीप रावल, जो कभी खुद क्रिकेटर बनना चाहते थे, ने बेटी में अपना सपना देखा। उन्होंने बताया, “मैंने खंभे गाड़े, नेट्स लगाए और सुबह-शाम एक घंटे उसकी प्रैक्टिस कराई। जब तक वह बल्लेबाज़ी नहीं करती, खाना नहीं खाती थी।”
महामारी के दौरान यह अभ्यास उनके करियर की सबसे बड़ी ताकत बना। जब सब कुछ बंद था, प्रतिका की मेहनत जारी थी। दिन में 400-500 गेंदों का सामना और पिता की हर थ्रोडाउन — यही था वह दौर जिसने उन्हें आज की खिलाड़ी बनाया।
क्रिकेट की राह में पहला कदम
प्रतिका का क्रिकेट सफर शुरू हुआ रोहतक रोड जिमखाना में, कोच श्रवण कुमार के मार्गदर्शन में — वही कोच जिन्होंने इशांत शर्मा और हर्षित राणा जैसे खिलाड़ियों को तैयार किया।
श्रवण बताते हैं, “वह मेरी अकादमी में ट्रेनिंग लेने वाली पहली लड़की थी। वह लड़कों के साथ बराबरी से खेलती थी, तकनीकी रूप से मजबूत थी और कभी पीछे नहीं हटी।”
धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी। घरेलू क्रिकेट में रनों का अम्बार लगाते हुए उन्होंने सेलेक्टर्स को ध्यान खींचा।
देर से मिला मौका, लेकिन असरदार शुरुआत
प्रतिका को भारत की वनडे टीम में मौका 24 साल की उम्र में मिला — जब उन्होंने शफाली वर्मा की जगह वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम में जगह बनाई। पिता प्रदीप कहते हैं, “कॉल लेट आया, लेकिन सही समय पर आया। उस दिन खुशी के आँसू रोक नहीं पाया।”

डेब्यू के एक साल के अंदर ही प्रतिका ने स्मृति मान्धाना के साथ भारत की सबसे भरोसेमंद ओपनिंग जोड़ी बना ली। मान्धाना कहती हैं, “वह शांत और समझदार खिलाड़ी है। हमारे बीच बहुत कम बातचीत होती है, लेकिन मैदान पर तालमेल शानदार है।”
पढ़ाई और खेल में संतुलन
प्रतिका सिर्फ मैदान पर नहीं, बल्कि पढ़ाई में भी अव्वल रही हैं। उन्होंने क्लास 10 और 12 में 92% से अधिक अंक प्राप्त किए और मनोविज्ञान में स्नातक की डिग्री ली। उनके भाई शशवत रावल, जो इंजीनियरिंग के छात्र हैं, कहते हैं — “वह हर चीज़ में आगे रहती थी — बास्केटबॉल, क्रिकेट, पढ़ाई — और कभी प्रैक्टिस नहीं छोड़ती थी, चाहे चोट लगी हो या थकान।”
उनकी माँ रजनी रावल याद करती हैं, “बचपन में बहुत शरारती थी, सबको दौड़ाती रहती थी। लेकिन जब 2017 में दीप्ति ध्यानी मैडम के साथ ट्रेनिंग शुरू की, तभी से फिटनेस और तकनीक में बड़ा बदलाव आया।”

वर्ल्ड कप में नया अध्याय
न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबला प्रतिका के लिए एक यादगार दिन बन गया। उन्होंने न केवल शतक लगाया बल्कि सबसे तेज़ 1000 रन पूरे करके रिकॉर्ड भी बनाया। यह पारी सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उस पिता के लिए थी जिसने कभी अपने सपने को बेटी के रूप में जीता।
पिता प्रदीप उस दिन गर्व से भरे बैनर लेकर स्टेडियम पहुंचे — “100* – Pratika Rawal: Proud Moment of Father.” जब प्रतिका का शतक लगा, तो वही बैनर टीवी पर दुनिया भर में दिखा।
भविष्य की उम्मीद
सिर्फ एक साल में ही प्रतिका रावल ने दिखा दिया है कि भारत को एक भरोसेमंद ओपनर मिल चुकी है। उनका संतुलित स्वभाव, तकनीकी दृढ़ता और मानसिक मजबूती उन्हें आने वाले वर्षों में टीम की रीढ़ बना सकती है। पिता के शब्दों में — “देर आये, दुरुस्त आये।”


