दिल्ली के 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर सोमवार को उस वक्त सुर्खियों में आ गए जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस बी. आर. गवई पर जूता फेंक दिया। घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने तुरंत उनकी सदस्यता निलंबित कर दी और उन्हें देश के किसी भी न्यायालय में प्रैक्टिस करने से रोक दिया है।
मुख्य तथ्य
- राकेश किशोर का जन्म 10 सितंबर 1954 को हुआ था।
- उन्होंने 2009 में 55 साल की उम्र में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली में नामांकन कराया।
- सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में CJI गवई पर जूता फेंकने का आरोप।
- BCI ने उन्हें सस्पेंड किया और शो-कॉज नोटिस जारी किया।
- दिल्ली पुलिस ने 3 घंटे पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया।
दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 में रहने वाले 71 वर्षीय अधिवक्ता राकेश किशोर सोमवार सुबह चर्चा में आ गए, जब उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई (CJI Gavai) पर जूता फेंक दिया। यह अप्रत्याशित घटना सुप्रीम कोर्ट के अंदर हुई और तुरंत सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने एक्शन लेते हुए किशोर की वकालत करने की अनुमति को निलंबित कर दिया। उन्हें किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल या न्यायिक प्राधिकरण में प्रैक्टिस करने से रोक दिया गया है। साथ ही, उन्हें एक शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है, जिसमें पूछा गया है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई स्थायी क्यों न की जाए।
कौन हैं राकेश किशोर?
राकेश किशोर का जन्म 10 सितंबर 1954 को हुआ था। उन्होंने 2009 में 55 वर्ष की उम्र में बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) से वकालत का लाइसेंस प्राप्त किया। वह दिल्ली के मयूर विहार फेज-1 में रहते हैं और रिवरव्यू अपार्टमेंट्स सोसाइटी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
किशोर ने पहले भी कई कानूनी मामलों में खुद को याचिकाकर्ता के रूप में पेश किया है। 2021 में उन्होंने दिल्ली कोऑपरेटिव ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर की थी, जो सोसाइटी में कचरा निस्तारण प्रणाली से जुड़ी थी। यह याचिका समयसीमा समाप्त होने के कारण 2022 में खारिज कर दी गई। इसके अलावा, उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में भी एक याचिका दाखिल की थी जिसमें सोसाइटी के “मिसमैनेजमेंट” और फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट की अनुपलब्धता का मुद्दा उठाया गया था।
सोसाइटी में विवाद और शिकायतें
राकेश किशोर जिस सोसाइटी में रहते हैं, वहां के निवासियों का कहना है कि वे पिछले छह साल से अध्यक्ष हैं और इस दौरान चुनाव नहीं हुए हैं। स्थानीय निवासियों ने उनके खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई थीं — जिनमें 2021 में एक वरिष्ठ नागरिक पर कथित हमले की शिकायत भी शामिल थी। हालांकि, दिल्ली पुलिस के मुताबिक उनके खिलाफ कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है।
जूता फेंकने की वजह क्या थी?
सुरक्षा कर्मियों ने किशोर को घटना के बाद तीन घंटे तक पूछताछ में रखा। सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान उन्होंने कहा कि वे खजुराहो मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की मूर्ति बहाल करने की याचिका पर CJI की हालिया टिप्पणियों से नाराज थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने उनके खिलाफ कोई मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया।
यह घटना न केवल न्यायिक गरिमा पर सवाल खड़े करती है, बल्कि अदालतों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी चिंताएं बढ़ाती है। अब BCI ने साफ किया है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी।


