अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती ने हाल ही में NDTV के एक कार्यक्रम में अपने जेल अनुभव और सुशांत सिंह राजपूत केस से जुड़े भावनात्मक सफर पर खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे 28 दिन जेल में रहकर उनकी सोच, रिश्ते और जीवन की दिशा हमेशा के लिए बदल गई।
मुख्य तथ्य
- रिया चक्रवर्ती 2020 में 28 दिन जेल में रहीं।
- जेल में उन्होंने साथी महिलाओं के लिए ‘नागिन डांस’ भी किया।
- रिया ने कहा, जेल से बाहर आने के बाद उनका नजरिया बदल गया।
- CBI की क्लीन चिट के बाद भी वे खुश नहीं, बस माता-पिता के लिए राहत महसूस हुई।
- उन्होंने कहा कि सुशांत की मौत का असली दुख उन्हें कभी भी नहीं छोड़ता।
जेल का अनुभव जिसने सब कुछ बदल दिया
रिया चक्रवर्ती ने खुलासा किया कि जेल में बिताए गए 28 दिन उनकी जिंदगी का सबसे कठिन समय था। वहां उन्होंने जाना कि जिन चीजों को लोग सामान्य समझते हैं, उनकी असली कीमत तब समझ आती है जब वे छिन जाएं। “जेल में कोई आपके खाने-पीने का ख्याल नहीं रखता। मुझे सबसे ज्यादा अपने परिवार की याद आई,” उन्होंने कहा।
कैद में मिली छोटी-छोटी खुशियाँ
रिया ने बताया कि जेल में कई महिलाएँ उनसे नाचने के लिए कहती थीं और उन्होंने जमानत मिलने के दिन साथियों के लिए ‘नागिन डांस’ भी किया। “मैंने सोचा शायद उन्हें दोबारा कभी न देख पाऊँ। अगर उन्हें थोड़ी खुशी मिल सकती है, तो क्यों न दूँ,” उन्होंने कहा। उनके मुताबिक, “वहां एक समोसा भी अरबों रुपये की कीमत जैसा लगता था।”
क्लीन चिट का पल और परिवार पर असर
जब CBI ने रिया को क्लीन चिट दी, तो उनका परिवार भावुक होकर रो पड़ा। लेकिन रिया कहती हैं कि उस दिन भी वे खुश नहीं थीं। “मैं जानती थी कि मैंने कुछ गलत नहीं किया। पर जब क्लीन चिट मिली, तो खुशी नहीं हुई। राहत सिर्फ माता-पिता के लिए महसूस हुई। हम अब पहले जैसे बेफिक्र परिवार कभी नहीं बन सकते,” उन्होंने कहा।
सुशांत की याद और निजी शोक
रिया ने बताया कि सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद उन्हें शोक मनाने का सामान्य अवसर ही नहीं मिला। “लोग भूल गए कि जो सबसे करीब था, उसी ने सबसे ज्यादा खोया। आज तक कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब मुझे लगे कि मैं पूरी तरह ठीक हूँ। मेरा शोक निजी है और इसे मैं ही ढो रही हूँ,” उन्होंने साझा किया।
जिंदगी का नया नजरिया
रिया का मानना है कि जेल ने उन्हें पूरी तरह बदल दिया। अब वे दूसरों की राय पर ध्यान नहीं देतीं और छोटी-छोटी चीज़ों की अहमियत समझती हैं। “घर का दाल-चावल अब पिज्जा से कम नहीं लगता। और अब मुझे पता है कि असली दोस्त तीन-चार से ज्यादा नहीं होते,” उन्होंने कहा।


