पुतिन और ज़ेलेंस्की की ऐतिहासिक मुलाकात की तैयारी, ट्रंप की भूमिका अहम
प्रमुख तथ्य
- ऐतिहासिक मुलाकात: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की जल्द ही आमने-सामने बातचीत करेंगे।
- ट्रंप की मध्यस्थता: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस वार्ता को आयोजित करने में अहम भूमिका निभाई है।
- वैश्विक प्रभाव: शांति समझौता वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा बाजारों को स्थिर कर सकता है।
- चुनौतियां: यूक्रेन पूर्ण संप्रभुता चाहता है, जबकि रूस सुरक्षा गारंटी की मांग कर रहा है।
- तारीख अनिश्चित: मुलाकात की तारीख और स्थान अभी गुप्त रखा गया है।
वैश्विक मंच पर एक सनसनीखेज खबर ने हलचल मचा दी है! रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध, जो पिछले चार साल से दुनिया को प्रभावित कर रहा है, अब शांति की राह पर बढ़ता दिख रहा है। 19 अगस्त 2025 को सामने आई खबर के अनुसार, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की जल्द ही एक ऐतिहासिक मुलाकात के लिए तैयार हैं। इस मुलाकात को संभव बनाने में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता ने अहम भूमिका निभाई है। लेकिन सवाल यह है—क्या यह वार्ता वाकई युद्ध को खत्म कर पाएगी?
ट्रंप की मध्यस्थता: एक नया मोड़
व्हाइट हाउस में हाल ही में हुई चर्चाओं में ट्रंप ने ज़ेलेंस्की के साथ मुलाकात की, जहां उन्होंने यूक्रेन के नेता के काले सूट की तारीफ की। इस हल्के-फुल्के पल के बीच गंभीर बातचीत हुई, जिसमें ट्रंप ने पुतिन और ज़ेलेंस्की को आमने-सामने लाने का वादा किया। सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप की टीम, जिसमें उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो शामिल हैं, ने इस डील को आगे बढ़ाने के लिए रात-दिन काम किया। हाल ही में अलास्का में पुतिन के साथ ट्रंप की मुलाकात असफल रही थी, लेकिन अब यह नया प्रयास वैश्विक ध्यान खींच रहा है।
क्या है इस वार्ता का महत्व?
रूस-यूक्रेन युद्ध ने न केवल यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। तेल और गैस की कीमतों में उछाल से लेकर खाद्य संकट तक, इस युद्ध के दुष्परिणाम हर जगह दिख रहे हैं। अगर यह शांति वार्ता सफल होती है, तो:
- वैश्विक ऊर्जा बाजार स्थिर हो सकते हैं, जिससे भारत जैसे देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम हो सकती हैं।
- यूक्रेन में मानवीय सहायता तेजी से पहुंच सकेगी।
- नाटो और रूस के बीच तनाव कम हो सकता है, जो आर्कटिक क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों को देखते हुए महत्वपूर्ण है।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती। ज़ेलेंस्की ने साफ कहा है कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता से कोई समझौता नहीं करेगा। दूसरी ओर, पुतिन ने “स्थायी शांति” के लिए सुरक्षा गारंटी की मांग की है। ट्रंप का सुझाव—”संभावित क्षेत्रीय आदान-प्रदान”—यूरोपीय नेताओं को पसंद नहीं आया है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और जर्मनी के फ्रेडरिक मर्ज़ ने कहा है कि यूक्रेन को अपना भविष्य खुद तय करना चाहिए।
दुनिया की नजरें इस पर टिकीं
एक्स पर लोगों की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं। एक यूजर ने लिखा, “अगर ट्रंप यह कर पाए, तो यह नोबेल पुरस्कार जैसा होगा!” वहीं, दूसरों को डर है कि पहले की तरह यह वार्ता भी विफल हो सकती है। यूरोपीय संघ ने सतर्क समर्थन जताया है, लेकिन यूक्रेन की संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं चाहता। इस बीच, 19 अगस्त को सूमी में रूसी ड्रोन हमले ने कई लोगों को घायल कर दिया, जिससे शांति की जरूरत और स्पष्ट हो गई।
आगे क्या?
ज़ेलेंस्की ने कहा है कि अगले 10 दिनों में सुरक्षा गारंटी के विवरण सामने आएंगे। ट्रंप की मध्यस्थता को लेकर भारत में भी चर्चा तेज है, क्योंकि यह युद्ध वैश्विक व्यापार और भारत की ऊर्जा नीतियों को प्रभावित करता है। हमारी पिछली रिपोर्ट में रूस-यूक्रेन युद्ध के आर्थिक प्रभावों के बारे में और जानें।