मुख्य तथ्य
- सचिन तेंदुलकर का नाम BCCI अध्यक्ष पद की दौड़ से जोड़ा गया था।
- मैनेजमेंट कंपनी ने कहा – “कोई नामांकन या विचार-विमर्श नहीं हुआ।”
- BCCI की वार्षिक आम बैठक (AGM) 28 सितंबर को होगी।
- पूर्व अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने 70 वर्ष की उम्र पूरी होने पर पद छोड़ा।
- IPL चेयरमैन अरुण धूमल को भी ‘कूलिंग-ऑफ पीरियड’ का सामना करना पड़ सकता है।
भारतीय क्रिकेट में “भगवान” कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने आखिरकार उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया है, जिनमें उनका नाम भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष पद से जोड़ा जा रहा था। हाल के दिनों में यह चर्चा तेजी से फैल रही थी कि मास्टर ब्लास्टर को बोर्ड का अगला प्रमुख बनाया जा सकता है।
हालांकि, सचिन की मैनेजमेंट कंपनी SRT स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने इन खबरों का स्पष्ट खंडन किया है। कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया, “कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और अफवाहें चल रही हैं कि श्री सचिन तेंदुलकर को BCCI अध्यक्ष पद के लिए नामित किया गया है। हम साफ करना चाहते हैं कि ऐसा कोई भी विकास नहीं हुआ है। सभी से अनुरोध है कि इस तरह की बेबुनियाद खबरों पर विश्वास न करें।”
यह बयान ऐसे समय आया है, जब BCCI की वार्षिक आम बैठक (AGM) 28 सितंबर को होने वाली है। इसी बैठक में अध्यक्ष समेत कई महत्वपूर्ण पदों के लिए चुनाव होंगे। बोर्ड अध्यक्ष का पद इस समय खाली पड़ा है क्योंकि पूर्व अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने इस महीने की शुरुआत में 70 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद पद छोड़ दिया था।
सिर्फ अध्यक्ष का पद ही खाली नहीं है, बल्कि IPL चेयरमैन अरुण धूमल को भी छह साल का प्रशासनिक कार्यकाल पूरा होने के बाद अनिवार्य ‘कूलिंग-ऑफ पीरियड’ से गुजरना पड़ सकता है। हालांकि, बाकी पदों पर बदलाव की संभावना कम है।
वर्तमान सचिव देवजीत सैकिया के पद पर बने रहने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने जय शाह के ICC चेयरमैन बनने के बाद यह जिम्मेदारी संभाली थी। इसी तरह, संयुक्त सचिव रोहन गॉन्स देसाई और कोषाध्यक्ष प्रभतेज भाटिया भी अपनी जिम्मेदारियां जारी रख सकते हैं।
रोजर बिन्नी, जो अक्टूबर 2022 में BCCI अध्यक्ष बने थे, उनसे उम्मीद थी कि वे AGM तक पद पर बने रहेंगे। लेकिन उनके इस्तीफे के बाद अध्यक्ष पद के लिए चर्चाएं तेज हो गईं। इसी बीच सचिन तेंदुलकर का नाम चर्चा में आने से क्रिकेट प्रशंसकों में उत्साह बढ़ा था।
हालांकि अब यह साफ हो गया है कि तेंदुलकर प्रशासनिक राजनीति में उतरने के मूड में नहीं हैं। उनका बयान यह भी दिखाता है कि वे अभी भी क्रिकेट को अलग ही नजरिए से देखते हैं और बोर्ड की राजनीति से दूरी बनाए रखना चाहते हैं।