मुख्य तथ्य
- सचिन तेंदुलकर ने कहा, महिला क्रिकेट भारत में अपने “watershed moment” पर है।
- हरमनप्रीत कौर की 2017 की 171 रन की पारी को बताया “टर्निंग पॉइंट”।
- स्मृति मंधाना की “सिल्कन ग्रेस” वाली बैटिंग की जमकर तारीफ की।
- जय शाह को समान मैच फीस और WPL की नींव रखने का श्रेय दिया।
- विश्व कप को बताया बदलाव और प्रेरणा का सबसे बड़ा मंच।
महिला क्रिकेट भारत में अपनी सबसे महत्वपूर्ण घड़ी के करीब है। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का मानना है कि आने वाला आईसीसी महिला विश्व कप 2025, जो भारत में आयोजित होगा, सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के लिए “watershed moment” साबित हो सकता है।
आईसीसी के लिए लिखे एक कॉलम में तेंदुलकर ने कहा, “मुझे लगता है कि महिला क्रिकेट भारत में अपने बड़े बदलाव की दहलीज पर खड़ा है। यह विश्व कप सिर्फ ट्रॉफी जीतने का नहीं, बल्कि अनगिनत सपनों को जगाने का मंच है।”
उन्होंने उदाहरण देते हुए लिखा कि कैसे छोटे-छोटे शहरों की लड़कियां अब क्रिकेट में करियर बनाने का सपना देखने लगी हैं। “मोगा की कोई किशोरी हरमनप्रीत कौर की तरह बनने का सपना देख रही होगी, वहीं सांगली में कोई लड़की स्मृति मंधाना की तरह अपने कवर ड्राइव पर मेहनत कर रही होगी।”
हरमनप्रीत की ऐतिहासिक पारी
तेंदुलकर ने खासतौर पर 2017 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हरमनप्रीत कौर की 171 रन की पारी को याद किया। उन्होंने कहा, “वह सिर्फ एक पारी नहीं थी, बल्कि एक बयान था। उनकी साहसिक बल्लेबाजी ने भारतीय महिला क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी।”
स्मृति मंधाना की “सिल्कन ग्रेस”
सचिन तेंदुलकर ने स्मृति मंधाना की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा, “उनकी बल्लेबाजी में एक अलग ही लय और खूबसूरती है। जिस सहजता से वह गेंद को टाइम करती हैं, वह क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों की याद दिलाती है।”
क्रिकेट से परे एक बदलाव
तेंदुलकर का मानना है कि यह विश्व कप सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समाज में भी बदलाव लाएगा। “यह खेल अब जेंडर, सोच और पहुंच की बाधाओं को तोड़ सकता है। जिस तरह मैंने 1983 में भारत की जीत के बाद सपना देखा था, उसी तरह एक छोटे शहर की बच्ची भी अब अपने लिए यही सपने देख सकती है।”
जय शाह की भूमिका
सचिन ने मौजूदा आईसीसी चेयरमैन जय शाह की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि, “जय शाह ने बीसीसीआई सचिव रहते हुए महिला खिलाड़ियों के लिए समान मैच फीस की व्यवस्था की और महिला प्रीमियर लीग (WPL) की नींव रखी। इसके लिए उन्हें बहुत श्रेय जाता है।”
महिला क्रिकेट का यह सफर अब उस मुकाम पर है, जहां से यह खेल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। अब सबकी निगाहें विश्व कप पर होंगी, जो महिला क्रिकेट को एक नई पहचान दिला सकता है।


