SCO समिट: पीएम मोदी के बाद बोले शहबाज़ शरीफ़, आतंकवाद पर दिए बयान

Rahul Balodi
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SCO समिट: मोदी और शरीफ़ आमने-सामने आतंकवाद पर

मुख्य तथ्य

  • पीएम मोदी ने SCO समिट में “डबल स्टैंडर्ड” पर कड़ा संदेश दिया।
  • उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले को मानवता के लिए चुनौती बताया।
  • शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि पाकिस्तान ने 90,000 से ज़्यादा जानें गंवाईं।
  • पाकिस्तान ने 152 अरब डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान झेला होने का दावा किया।
  • शरीफ़ ने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) का मुद्दा भी उठाया।

सोमवार को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ दोनों ने आतंकवाद पर अपनी-अपनी राय रखी।

पीएम मोदी ने बिना नाम लिए कहा कि कुछ देश खुले तौर पर आतंकवाद का समर्थन करते हैं, और ऐसे “डबल स्टैंडर्ड” बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “क्या कुछ देशों द्वारा आतंकवाद को खुला समर्थन हमारे लिए कभी स्वीकार्य हो सकता है? हमें स्पष्ट कहना होगा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में किसी तरह का दोहरा मापदंड बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

मोदी ने यह भी कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद की मार झेल रहा है और पहलगाम आतंकी हमला इसका ताज़ा उदाहरण है। उन्होंने इसे पूरी मानवता के लिए खुली चुनौती करार दिया और SCO देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की।

दूसरी ओर, पीएम मोदी के भाषण के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने अपने देश को आतंकवाद का शिकार बताया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान ने अब तक 90,000 से अधिक जानें गंवाई हैं और 152 अरब डॉलर से ज्यादा का आर्थिक नुकसान उठाया है। शरीफ़ ने यहां तक कहा कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में विदेशी तत्व आतंकी हमलों के पीछे हैं। उन्होंने जाफर एक्सप्रेस ट्रेन बंधक घटना का भी हवाला दिया।

शरीफ़ ने कहा कि पाकिस्तान हर प्रकार के आतंकवाद की निंदा करता है और आरोप लगाया कि कुछ लोग अपने राजनीतिक हित साधने के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) का मुद्दा उठाते हुए “संरचनात्मक वार्ता” की मांग की और कहा कि पाकिस्तान सभी अंतरराष्ट्रीय और द्विपक्षीय समझौतों का सम्मान करता है और यही उम्मीद बाकी SCO देशों से भी रखता है।

हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मंच पर पीएम मोदी के सशक्त भाषण के बाद शरीफ़ का बयान महज़ औपचारिकता सा लगा और कई विश्लेषकों ने इसे “लिप सर्विस” करार दिया।

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