प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने SCO सम्मेलन में आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाया, कनेक्टिविटी और अवसर को संगठन की नई परिभाषा बताया।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का स्पष्ट दृष्टिकोण सामने रखा। उन्होंने संगठन को नई परिभाषा देते हुए इसे Security, Connectivity और Opportunity से जोड़ा। मोदी ने कहा कि भारत ने चार दशकों तक आतंकवाद का दर्द झेला है और अब दुनिया को इसे हर रूप में रोकने के लिए एकजुट होना चाहिए।
मुख्य तथ्य
- मोदी ने SCO में कहा– आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अस्वीकार्य।
- पहलगाम हमले का जिक्र कर पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष निशाना साधा।
- चाबहार पोर्ट और नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर से कनेक्टिविटी बढ़ाने की योजना।
- 2023 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने नवाचार और युवा सशक्तिकरण पर फोकस किया।
- शी जिनपिंग और पुतिन से अनौपचारिक मुलाकात, रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए संगठन को नई दिशा देने पर जोर दिया। उन्होंने SCO को “Security, Connectivity और Opportunity” के रूप में परिभाषित किया और कहा कि भारत लंबे समय से आतंकवाद की मार झेल रहा है। मोदी ने बताया कि पिछले चार दशकों में आतंकवाद ने हजारों परिवारों को तोड़ा है, कई माताओं ने अपने बच्चों को खोया और कई बच्चों ने अपने माता-पिता।
आतंकवाद पर सख्त संदेश
मोदी ने SCO नेताओं को संबोधित करते हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “यह हमला भारत की आत्मा पर चोट था, साथ ही यह मानवता में विश्वास रखने वालों के लिए भी चुनौती है। हम आभारी हैं उन मित्र देशों के जिन्होंने इस कठिन घड़ी में भारत का साथ दिया।”
बिना नाम लिए पाकिस्तान पर तीखा हमला करते हुए मोदी ने कहा, “क्या यह स्वीकार्य है कि कुछ देश खुले तौर पर आतंकवाद को समर्थन दें? हमें स्पष्ट शब्दों में कहना होगा कि आतंकवाद पर दोहरा रवैया नहीं चलेगा। हर रूप में आतंकवाद का विरोध हमारी जिम्मेदारी है।”
कनेक्टिविटी और अवसर
प्रधानमंत्री मोदी ने संगठन में कनेक्टिविटी को अहम स्तंभ बताया। उन्होंने कहा कि भारत केवल व्यापार के लिए नहीं, बल्कि विश्वास और विकास के लिए मजबूत कनेक्टिविटी में विश्वास करता है। उन्होंने चाबहार पोर्ट और इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का उल्लेख किया, जो अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच आसान बनाएंगे।
हालांकि, मोदी ने स्पष्ट किया कि कनेक्टिविटी प्रयास तभी सार्थक हैं जब वे संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें। उन्होंने कहा, “जो कनेक्टिविटी संप्रभुता को दरकिनार करे, वह भरोसे और महत्व दोनों को खो देती है।” यह बयान स्पष्ट रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की ओर इशारा था।
नवाचार और सहयोग के नए आयाम
मोदी ने SCO देशों के बीच सहयोग और सुधार की संभावनाओं पर जोर दिया। उन्होंने भारत की 2023 अध्यक्षता के दौरान नवाचार, पारंपरिक चिकित्सा, डिजिटल समावेशन, युवा सशक्तिकरण और साझा बौद्ध धरोहर जैसे क्षेत्रों में नई पहल शुरू करने का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने “सिविलाइजेशन डायलॉग फोरम” की स्थापना का प्रस्ताव दिया, जहां सदस्य देश संस्कृति, कला और साहित्य पर वैश्विक स्तर पर चर्चा कर सकें।
शी और पुतिन से मुलाकात
शिखर सम्मेलन से पहले मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अनौपचारिक मुलाकात भी की। यह मुलाकातें खास इसलिए मानी जा रही हैं क्योंकि अमेरिकी प्रशासन ने भारत-चीन और भारत-रूस समीकरणों पर चिंता जताई है। भारत ने हालांकि साफ किया कि वह रणनीतिक स्वायत्तता में विश्वास करता है और अपने संबंधों को “तीसरे देश की नजर” से नहीं देखता।