सुप्रीम कोर्ट 7 अक्टूबर को सुनेगा ऑनलाइन गेमिंग एक्ट पर चुनौती

नए कानून से ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में मचा हड़कंप, कंपनियों ने दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

newsdaynight
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सुप्रीम कोर्ट 7 अक्टूबर को सुनेगा ऑनलाइन गेमिंग एक्ट पर चुनौती

भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए बड़ी खबर सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2025 को ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 की संवैधानिक वैधता पर दायर याचिकाओं की सुनवाई तय की है। इस कानून ने रियल मनी गेमिंग सेक्टर को गहरी चोट दी है क्योंकि इसमें दांव पर खेले जाने वाले सभी खेलों—चाहे वे स्किल-बेस्ड हों या चांस-बेस्ड—पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।

मुख्य तथ्य

  • सुप्रीम कोर्ट 7 अक्टूबर को करेगा सुनवाई – ऑनलाइन गेमिंग एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर।
  • कंपनियों ने दी चुनौती – A23 (Head Digital Works), Clubboom 11, Bagheera Carrom समेत कई फर्म शामिल।
  • हाई कोर्ट से ट्रांसफर – दिल्ली, कर्नाटक और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की सभी याचिकाएं अब सुप्रीम कोर्ट में होंगी।
  • केंद्र सरकार का रुख – एक समान निर्णय के लिए सभी मामलों का एकत्रीकरण जरूरी बताया।
  • इंडस्ट्री की चिंता – कंपनियों का कहना, “हमारा कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया है।”

भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री और सरकार के बीच खींचतान अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और के.वी. विश्वनाथन की बेंच ने ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 के खिलाफ दाखिल याचिकाओं को 7 अक्टूबर को सुनने का फैसला लिया है। इस कानून के तहत दांव (stakes) पर खेले जाने वाले सभी खेलों पर पाबंदी है, जिससे रियल मनी गेमिंग कंपनियों को बड़ा झटका लगा है।

पिछले शुक्रवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई में कंपनियों के वकीलों ने तत्काल सुनवाई की मांग रखी। उन्होंने कहा कि इस कानून से उनका बिजनेस बंद हो चुका है और मामले की जल्दी सुनवाई जरूरी है। जस्टिस पारदीवाला की बेंच ने पहले ही देशभर की हाई कोर्ट में लंबित सभी मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। अब दिल्ली, कर्नाटक और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट से सभी रिकॉर्ड डिजिटल रूप में एक हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट में भेजे जाएंगे।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक ही अदालत में सुनवाई का समर्थन किया। उनका कहना था कि इससे फैसले में एकरूपता आएगी और मामले जल्दी निपटेंगे। वहीं, गेमिंग कंपनियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी. आर्यमा सुंदरम ने भी कहा कि सभी केस एक ही जगह आने से प्रक्रिया तेज और सरल होगी।

इस मामले में प्रमुख याचिकाकर्ताओं में Head Digital Works (A23), Bagheera Carrom (E-Gaming Federation से जुड़ा), और Clubboom 11 (Federation of Indian Fantasy Sports से संबद्ध) शामिल हैं। इन कंपनियों का कहना है कि एक्ट ने उनके व्यवसाय को पूरी तरह खत्म कर दिया है और यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।

यह विवाद भारत की तेजी से बढ़ती ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री और रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ के बीच की खाई को उजागर करता है। आने वाली सुनवाई न केवल कंपनियों बल्कि लाखों खिलाड़ियों के भविष्य पर भी असर डालेगी।

 

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