सुप्रीम कोर्ट ने बनाई SIT, वंतारा वाइल्डलाइफ सेंटर पर जांच होगी

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सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा पर SIT गठित की

गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा पर अवैध वन्यजीव ट्रांसफर और हाथियों की कैद के आरोप, सेवानिवृत्त जज जस्ती चेलमेश्वर की अध्यक्षता में होगी जांच

मुख्य तथ्य

  • सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा वाइल्डलाइफ फैसिलिटी पर गंभीर आरोपों की जांच के लिए SIT गठित की।
  • SIT की अध्यक्षता सेवानिवृत्त जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर करेंगे।
  • आरोप: हाथियों और अन्य वन्यजीवों का अवैध ट्रांसफर, अवैध कैद और वित्तीय अनियमितताएँ।
  • SIT को 12 सितंबर तक रिपोर्ट सौंपनी होगी, सुनवाई 15 सितंबर को तय।
  • मामला अनंत अंबानी संचालित वंतारा और उसके संचालन पर उठे सवालों से जुड़ा।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात के जामनगर स्थित वंतारा वाइल्डलाइफ फैसिलिटी से जुड़े गंभीर आरोपों पर विशेष जांच दल (SIT) के गठन का आदेश दिया। यह SIT सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट जज जस्ती चेलमेश्वर की अध्यक्षता में बनाई गई है, जिसमें पूर्व हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र चौहान, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नगराले और वरिष्ठ IRS अधिकारी अनीश गुप्ता भी शामिल हैं।

जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस प्रसन्न बी. वराले की पीठ ने यह फैसला दो जनहित याचिकाओं (PIL) पर सुनवाई के दौरान सुनाया। इन याचिकाओं में वंतारा पर अवैध हाथी ट्रांसफर, वन्यजीवों की कैद, वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन और वित्तीय अनियमितताओं जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में इस तरह की याचिकाएँ खारिज कर दी जातीं, लेकिन चूंकि इसमें यह आरोप शामिल हैं कि संबंधित प्राधिकरण और अदालतें अपनी जिम्मेदारी निभाने में सक्षम नहीं हैं, इसलिए स्वतंत्र तथ्यों की जांच आवश्यक है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIT का काम केवल तथ्यात्मक जांच करना है और इसका उद्देश्य किसी भी प्राधिकरण या वंतारा की कार्यप्रणाली पर संदेह जताना नहीं है।

SIT को कई मुद्दों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है—जैसे भारत और विदेश से जानवरों का अधिग्रहण, खासकर हाथियों का; वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का अनुपालन; CITES (वन्य जीव और वनस्पतियों की अंतरराष्ट्रीय व्यापार संधि) से जुड़े दायित्व; पशु कल्याण और चिकित्सा सुविधाएँ; वित्तीय अनियमितताएँ और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप। SIT को 12 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी और कोर्ट 15 सितंबर को इस पर सुनवाई करेगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने वंतारा पर SIT गठित की

यह विवाद हाल ही में उस समय और गहराया जब महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हजारों लोगों ने 36 वर्षीय हाथी माधुरी (उर्फ महादेवी) को वापस लाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। जुलाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर माधुरी को वंतारा भेजा गया था। याचिकाकर्ता अधिवक्ता सी.आर. जया सुकीन ने कोर्ट से मांग की कि वंतारा की गतिविधियों की निगरानी सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में की जाए और सभी हाथियों को उनके असली मालिकों को लौटाया जाए।

याचिका में आरोप लगाया गया कि हाथियों को मंदिरों और निजी मालिकों से जबरन लिया गया और यह सब कुछ राज्य के वन विभागों और एनजीओ की मिलीभगत से हुआ। यहां तक कि विदेशी संस्थानों से भी दुर्लभ जानवरों को वंतारा लाया गया। इन ट्रांसफरों को “रेस्क्यू और पुनर्वास” का नाम दिया गया, लेकिन याचिकाकर्ता का दावा है कि असल मकसद व्यावसायिक लाभ था।

वहीं वंतारा की ओर से जारी बयान में कहा गया कि माधुरी का स्थानांतरण न्यायालय के आदेश पर हुआ और उनका काम केवल देखभाल और चिकित्सा सहायता प्रदान करना था। उन्होंने किसी धार्मिक प्रथा या भावना में हस्तक्षेप का इरादा नहीं जताया।

अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर हैं, जो यह तय करेगा कि वंतारा से जुड़े आरोपों में कितनी सच्चाई है और क्या यह मामला भारत में वन्यजीव संरक्षण नीतियों के लिए नई मिसाल बनेगा।

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