भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार बल्लेबाज़ और मौजूदा कप्तान सूर्यकुमार यादव को मैदान पर देखकर अक्सर लगता है कि वह कप्तानी को स्ट्रेस नहीं, बल्कि रिलैक्सेशन मानते हैं। मुस्कुराना, मज़ाक करना और साथी खिलाड़ियों के साथ हल्की-फुल्की बातचीत करना—यही है उनका अंदाज़। इसी वजह से उन्हें आज “कैप्टन सनशाइन” कहा जाता है।
मुख्य तथ्य
- सूर्यकुमार यादव का नेतृत्व स्टाइल: हल्का-फुल्का, लेकिन आत्मविश्वास से भरा।
- वह खिलाड़ियों को आज़ादी देते हैं और बिना दबाव डाले सुझाव साझा करते हैं।
- रोहित शर्मा उनके सबसे बड़े रोल मॉडल रहे हैं।
- टीम के माहौल को हल्का और दोस्ताना बनाए रखते हैं।
- कप्तानी में लचीलापन उन्हें 2019–20 की असफलताओं से मिला।
भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव का अंदाज़ बाकी कप्तानों से बिल्कुल अलग है। मैदान पर उनका चेहरा हमेशा मुस्कुराता है, साथी खिलाड़ियों के साथ मज़ाक करते हैं और शायद ही कभी गुस्से में दिखाई देते हैं। उनकी यही पर्सनैलिटी पूरी टीम को पॉज़िटिव और एनर्जेटिक वाइब देती है।
विराट कोहली जहां टीम को आक्रामक और फाइटिंग स्पिरिट से भरते थे, वहीं रोहित शर्मा का नेतृत्व शांत और कंट्रोल्ड दिखाई देता था। एमएस धोनी के समय टीम उनके टैक्टिकल दिमाग से इतनी प्रभावित रहती थी कि कई बार उनका मूड पूरी टीम का मूड तय करता था। लेकिन सूर्यकुमार यादव का स्टाइल अलग है। वह खिलाड़ियों के साथ एक दोस्त की तरह रहते हैं—मुस्कुराते, मज़ाक करते और कभी भी अपनी राय थोपते नहीं।

सूर्यकुमार फील्ड सेट करते समय हर खिलाड़ी की बात सुनते हैं, चाहे वो जसप्रीत बुमराह हों या शिवम दुबे। बल्लेबाज़ी करते समय भी वह अपने जूनियर खिलाड़ियों को डांटते नहीं, बल्कि हर अच्छे शॉट पर तालियां बजाते हैं और गलतियों पर हिम्मत बढ़ाते हैं। यही वजह है कि साथी खिलाड़ी उन्हें “गाइडिंग फोर्स” मानते हैं।
उनकी कप्तानी पर रोहित शर्मा का गहरा असर है। खुद सूर्यकुमार ने माना है कि उन्होंने रोहित को सालों तक मुंबई और भारतीय टीम में करीब से देखा और सीखा कि दबाव में कैसे शांत रहना है, खिलाड़ियों के साथ कैसे पेश आना है और टीम को कैसे मोटिवेट करना है। फर्क सिर्फ इतना है कि जहां रोहित का ह्यूमर ड्राई और कई बार सैर्कास्टिक होता है, वहीं सूर्यकुमार का अंदाज़ हल्का-फुल्का और स्लैपस्टिक है।
उनकी सबसे बड़ी खूबी है रिश्तों को संभालना। मैदान से बाहर भी वह अपने साथियों से जुड़े रहते हैं—कभी साथ खाना, कभी सफर करना, या फिर IPL के दौरान बाहर बैठे खिलाड़ियों से बातचीत करना। वह यह सुनिश्चित करते हैं कि टीम के किसी भी सदस्य को असुरक्षा का एहसास न हो।
यह लचीलापन और इंसानियत उन्हें हमेशा से नहीं थी। 2019–20 में मुंबई रणजी टीम की कप्तानी करते हुए वह काफी जिद्दी माने जाते थे और उनकी लीडरशिप असफल रही थी। लेकिन चार साल बाद, उन्होंने उस अनुभव से सीखा और आज भारतीय टीम उन्हें ‘कैप्टन सनशाइन’ कहती है। 23 में से 18 मैचों की जीत इसका सबूत है।
आज भारतीय टीम का ड्रेसिंग रूम हंसी-मज़ाक और एनर्जी से भरा होता है। और इस माहौल का सबसे बड़ा कारण हैं—सूर्यकुमार यादव।