भारत को लेकर पलटे ट्रंप, कहा- “मोदी संग रिश्ते मजबूत”

पहले “भारत-रूस को चीन को खो देने” की बात कही, फिर नरम हुए ट्रंप; तेल खरीद पर भारत के रुख पर अड़े रही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।

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नोबेल शांति पुरस्कार की दौड़ में डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (5 सितंबर) को भारत को लेकर अपना रुख बदला। उन्होंने कहा कि अमेरिका-भारत के रिश्ते खत्म नहीं हुए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग उनके संबंध अच्छे हैं। यह बयान कुछ घंटे पहले दिए गए उस विवादित सोशल मीडिया पोस्ट से बिल्कुल अलग था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि अमेरिका ने “भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया है।”

मुख्य तथ्य

  • ट्रंप ने कहा—“भारत नहीं खोया, मोदी से रिश्ते अच्छे हैं।”
  • पहले Truth Social पोस्ट में लिखा था—“भारत-रूस को चीन को खो दिया।”
  • भारत पर रूसी तेल खरीद को लेकर असंतोष, 50% टैरिफ लगाया।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा—“तेल खरीद हमारी आर्थिक ज़रूरतों पर आधारित।”
  • भारत ने साफ किया—तेल आयात पर फैसला केवल राष्ट्रीय हितों के हिसाब से होगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका ने भारत को “खो दिया” है। पत्रकार के सवाल पर उन्होंने कहा—“नहीं, मुझे नहीं लगता हमने भारत खोया है। हां, मैं इस बात से निराश हूं कि भारत रूसी तेल खरीद रहा है और मैंने उन्हें यह बता दिया है—50% टैरिफ के साथ।”

हालांकि, ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग अपने रिश्तों को सकारात्मक बताया। उन्होंने कहा—“मैं मोदी के साथ बहुत अच्छे से मिलता हूं। जैसा कि आप जानते हैं, वह कुछ महीने पहले यहां आए थे। हम रोज़ गार्डन भी गए थे।”

यह बयान उस Truth Social पोस्ट से बिल्कुल अलग था जिसमें ट्रंप ने कुछ घंटे पहले लिखा था—“लगता है हमने भारत और रूस को सबसे गहरे, सबसे अंधेरे चीन को खो दिया है। उन्हें साथ में लंबा और समृद्ध भविष्य मिले!”

अमेरिकी असंतोष की वजह भारत द्वारा रूस से लगातार तेल की खरीद है। अमेरिका ने इसपर कई बार नाराज़गी जताई है और भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाए हैं।

वहीं, भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने CNN-News18 को दिए इंटरव्यू में कहा—“चाहे रूसी तेल हो या कुछ और, यह हमारा निर्णय है कि हमें कहाँ से खरीदना है। यह हमारी आर्थिक और व्यावसायिक ज़रूरतों पर निर्भर करता है। दर, लॉजिस्टिक्स और अन्य पहलुओं को देखते हुए जो हमारे लिए उपयुक्त होगा, वहीं से हम तेल खरीदेंगे। इसमें कोई संदेह नहीं कि हम आगे भी यह खरीदारी जारी रखेंगे।”

सीतारमण ने यह भी कहा कि तेल आयात जैसे बड़े निर्णय विदेशी मुद्रा और राष्ट्रीय हितों से जुड़े होते हैं। ऐसे में भारत वही रास्ता चुनेगा जो उसकी अर्थव्यवस्था और बाज़ार के लिए सबसे बेहतर साबित हो।

ट्रंप के बदलते बयानों और भारत के स्पष्ट रुख ने यह साफ कर दिया है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते सहयोग और तनाव के मिश्रण के दौर से गुजर रहे हैं। एक ओर अमेरिका अपने व्यापारिक और रणनीतिक हित साधना चाहता है, वहीं भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए स्वतंत्र नीति पर कायम है।

SOURCES:IndianExpress
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