अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को आयातित दवाओं, भारी ट्रकों और किचन कैबिनेट्स पर भारी टैरिफ़ की घोषणा की। 1 अक्टूबर 2025 से यह नए शुल्क लागू होंगे। इस फैसले से वैश्विक व्यापारिक माहौल और भी अनिश्चित हो गया है।
मुख्य तथ्य
- आयातित दवाओं पर 100% टैरिफ़, जब तक कंपनी अमेरिका में प्लांट नहीं बनाती।
- भारी ट्रकों पर 25% और किचन कैबिनेट्स पर 50% शुल्क।
- बाथरूम वैनिटी पर 50% और फर्नीचर पर 30% टैरिफ़ भी जल्द लागू।
- ट्रंप का दावा—कदम से स्थानीय उद्योग और नौकरियों को मिलेगा संरक्षण।
- उद्योग संगठनों और अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने किया विरोध।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में शुक्रवार को आयातित उत्पादों पर अब तक की सबसे सख्त टैरिफ़ दरों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि 1 अक्टूबर 2025 से किसी भी आयातित ब्रांडेड या पेटेंटेड दवा पर 100% टैरिफ़ लगाया जाएगा, जब तक कि संबंधित फार्मा कंपनी अमेरिका में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट शुरू नहीं करती। यह कदम अमेरिकी दवा उद्योग को बढ़ावा देने और विदेशी निर्भरता कम करने के लिए उठाया गया है।
ट्रंप ने यह भी ऐलान किया कि भारी ट्रकों पर 25% और किचन कैबिनेट्स पर 50% टैरिफ़ लागू किया जाएगा। वहीं, अगले हफ्ते से बाथरूम वैनिटी पर 50% और अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर पर 30% आयात शुल्क लगाया जाएगा। उनका कहना है कि “विदेशी देशों से बड़े पैमाने पर सस्ते उत्पादों की बाढ़” स्थानीय उद्योगों को नुकसान पहुँचा रही है।

ट्रंप ने भारी ट्रकों पर टैरिफ़ को “स्थानीय निर्माण को बचाने” का कदम बताया। उन्होंने कहा कि इससे पीटरबिल्ट, केनवर्थ और फ्रेटलाइनर जैसी कंपनियों को लाभ होगा। दूसरी ओर, अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने चेतावनी दी है कि मेक्सिको, कनाडा, जापान, जर्मनी और फ़िनलैंड जैसे सहयोगी देशों से आयात पर टैरिफ़ लगाना अनुचित है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
फार्मास्यूटिकल रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरर्स ऑफ अमेरिका (PhRMA) ने भी विरोध जताया। उनका कहना है कि अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के कच्चे माल का लगभग 53% हिस्सा पहले से ही अमेरिका में तैयार होता है, जबकि शेष यूरोप और अन्य सहयोगी देशों से आता है। ऐसे में दवाओं पर 100% टैरिफ़ उपभोक्ताओं के लिए दाम बढ़ा सकता है और स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव डाल सकता है।
ट्रंप के इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता जताई जा रही है। विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के कदम वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकते हैं और कई देशों के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ा सकते हैं। पहले से ही कई कंपनियाँ अनिश्चित माहौल के चलते निवेश निर्णय टाल रही हैं। यह नया टैरिफ़ पैकेज अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी दोहरी चुनौती देगा—एक ओर स्थानीय निर्माण को प्रोत्साहन, वहीं दूसरी ओर कीमतों में संभावित बढ़ोतरी।


