6 सितंबर 2025 से अमेरिकी विदेश विभाग ने वीज़ा नियमों में बड़ा बदलाव किया है। लंबे समय से चली आ रही “थर्ड-कंट्री स्टैम्पिंग” की सुविधा अब खत्म कर दी गई है। भारतीय नागरिकों सहित सभी आवेदकों को अब केवल अपने गृह देश में ही वीज़ा इंटरव्यू देना होगा।
मुख्य तथ्य
- अमेरिका ने 6 सितंबर 2025 से “थर्ड-कंट्री स्टैम्पिंग” पूरी तरह बंद की।
- अब F-1, B-1/B-2, H-1B, O-1 समेत लगभग सभी वीज़ा के लिए गृह देश में इंटरव्यू अनिवार्य।
- 2 सितंबर 2025 से “ड्रॉप बॉक्स” और इंटरव्यू छूट की सुविधा भी समाप्त।
- ट्रंप प्रशासन ने छात्रों और मीडिया वीज़ा की अवधि पर सख्त कैप लगाने का प्रस्ताव दिया।
- 2025 में अब तक 6,000 से ज्यादा स्टूडेंट वीज़ा रद्द और 1,700 से अधिक भारतीयों की डिपोर्टेशन।
अमेरिका में गैर-आप्रवासी वीज़ा पाने की प्रक्रिया अब पहले से कहीं कठिन हो गई है। अमेरिकी विदेश विभाग ने 6 सितंबर 2025 से बड़ा बदलाव करते हुए थर्ड-कंट्री स्टैम्पिंग की सुविधा समाप्त कर दी है। इसका मतलब है कि अब भारतीय नागरिक—चाहे वे F-1 स्टूडेंट वीज़ा, B-1/B-2 विज़िटर, H-1B वर्क वीज़ा या O-1 वीज़ा के लिए आवेदन कर रहे हों—उन्हें केवल अपने गृह देश (या कानूनी निवास वाले देश) में ही इंटरव्यू देना होगा।
पहले तक, भारतीय और अन्य देशों के नागरिक थाईलैंड, जर्मनी या मैक्सिको जैसे देशों में जाकर जल्दी अपॉइंटमेंट पा लेते थे। लेकिन अब यह रास्ता बंद हो गया है। यदि कोई आवेदक गलती से किसी तीसरे देश में अपॉइंटमेंट बुक करता है, तो उसकी फीस भी जब्त हो जाएगी। हालांकि पहले से तय अपॉइंटमेंट सामान्य रूप से रद्द नहीं किए जाएंगे।
इसके साथ ही, 2 सितंबर 2025 से लगभग सभी वीज़ा कैटेगरी में अनिवार्य इन-पर्सन इंटरव्यू लागू कर दिया गया है। पहले सीनियर नागरिकों या बार-बार यात्रा करने वालों को “ड्रॉप बॉक्स” सुविधा मिलती थी, लेकिन अब यह छूट भी खत्म कर दी गई है। इसका असर छात्रों से लेकर कॉर्पोरेट प्रोफेशनल्स तक पर पड़ेगा, जिन्हें अब वीज़ा प्रोसेसिंग में अतिरिक्त समय और योजना की ज़रूरत होगी।
ट्रंप प्रशासन ने छात्रों के लिए “ड्यूरेशन ऑफ स्टेटस” (D/S) को भी बदलने का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत स्टूडेंट वीज़ा की अधिकतम अवधि चार साल और मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए 240 दिन तय की जा सकती है। इससे अमेरिका में पढ़ाई और काम कर रहे कई लोगों की अनिश्चितता और बढ़ जाएगी।
2025 में अब तक 6,000 से अधिक छात्र वीज़ा रद्द किए जा चुके हैं, जिनमें से 4,000 आप्रवासन उल्लंघन या अपराध (जैसे ओवरस्टे और DUI) से जुड़े थे। इसी साल जनवरी से जुलाई तक 1,703 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट भी किया गया है। वीज़ा नियमों की इस सख्ती से भारतीय छात्रों और कामकाजी पेशेवरों पर वित्तीय और मानसिक दबाव बढ़ गया है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इन नीतियों के चलते कई छात्र अमेरिका की जगह जर्मनी या कनाडा जैसे विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। वहीं, हाई-स्किल्ड वर्कर्स के लिए लंबा इंतज़ार, यात्रा में कम लचीलापन और गैर-रिफंडेबल फीस अब बड़ी चुनौती बन गई है।