उत्तराखंड पेपर लीक पर बवाल: धामी सरकार घिरी सवालों में

भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के आरोपों से धामी सरकार संकट में, युवा CBI जांच और परीक्षा रद्द करने की मांग पर अड़े।

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उत्तराखंड पेपर लीक विवाद से धामी सरकार घिरी

उत्तराखंड की धामी सरकार पर पेपर लीक विवाद ने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है। बेरोजगार युवा देहरादून के परेड ग्राउंड पर सातवें दिन भी डटे हैं और CBI जांच की मांग कर रहे हैं। इस बीच, “नकल जिहाद” बयानबाजी से गुस्साए छात्र सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

मुख्य तथ्य

  • 21 सितंबर की स्नातक स्तरीय परीक्षा में पेपर लीक के आरोप।
  • आरोपियों में एक BJP के पूर्व नेता हाकम सिंह, पहले भी आरोपी रहे हैं।
  • बेरोजगार संघ और स्वाभिमान मोर्चा का प्रदर्शन सातवें दिन जारी।
  • युवाओं की मांग: CBI जांच और परीक्षा रद्द हो।
  • विपक्ष ने धामी सरकार पर घोटाले को लेकर हमला बोला।

देहरादून के परेड ग्राउंड पर सैकड़ों युवा बेरोजगार धूप-गर्मी की परवाह किए बिना सातवें दिन भी प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका गुस्सा साफ है—21 सितंबर को हुई उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (USSSC) की स्नातक स्तर की परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने का आरोप। बेरोजगार संघ और उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने इसे राज्य सरकार की गंभीर लापरवाही बताया है और अब युवाओं ने CBI जांच और परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है।

इस पूरे विवाद की जड़ में वही नाम है जिसने 2021 में भी भर्ती परीक्षा में पेपर लीक किया था—हाकम सिंह। BJP से जुड़े रहे सिंह को परीक्षा से एक दिन पहले गिरफ्तार किया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने उम्मीदवारों से 15 लाख रुपये तक की रकम वसूली की थी। इस बार भी उनका नाम सामने आते ही सरकार पर सवाल उठने लगे हैं।

सरकार के दावे और युवाओं का गुस्सा

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने इसे “नकल जिहाद” करार देते हुए आरोपियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि SIT बनाई गई है और जांच निष्पक्ष होगी। लेकिन युवाओं का गुस्सा शांत नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि “जिहाद” जैसी भाषा का इस्तेमाल असल मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है।

बेरोजगार संघ अध्यक्ष राम कंडवाल ने CM के दावों को झूठा बताते हुए कहा, “पिछले चार साल में केवल 2,745 स्थायी पदों पर ही नियुक्ति हुई है, जबकि CM 25,000 अवसर देने की बात कर रहे हैं। यह महज आंकड़ों का खेल है।”

परीक्षाओं में भरोसा टूटा

देहरादून सैकड़ों कोचिंग सेंटर्स का केंद्र है, जहां से हजारों छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। लेकिन बार-बार पेपर लीक और धांधली ने युवाओं का विश्वास तोड़ दिया है। 2021 में परीक्षा रद्द हुई थी, 2022 में UKSSSC की परीक्षा में गड़बड़ी मिली, और जनवरी 2023 में UKPSC पटवारी-लेखपाल परीक्षा को भी रद्द करना पड़ा।

इसीलिए प्रदर्शन में शामिल 25 वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक अंजू राणा कहती हैं, “हमने सिस्टम पर से भरोसा खो दिया है। अगर किसी अभ्यर्थी ने मोबाइल अंदर ले जाकर पेपर लीक कर दिया तो यह निगरानी की नाकामी है।”

कानून बना, लेकिन कार्रवाई ढीली

राज्य सरकार ने इस साल उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2023 लागू किया, जिसमें दोषियों को आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। बावजूद इसके, हाकम सिंह जैसे आरोपी फिर से पकड़े जा रहे हैं। युवाओं का कहना है कि यह कानून केवल कागजों में सख्त है, लेकिन कार्रवाई ढीली होने से इसका असर नहीं दिख रहा।

26 वर्षीय सिमरन पंवार कहती हैं, “सरकार कानून बनाकर वाहवाही लूटती है, लेकिन असली गुनाहगार आसानी से छूट जाते हैं। असली समस्या यह है कि पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया सुनिश्चित नहीं की गई।”

आंदोलन का विस्तार और विपक्ष का हमला

यदि आने वाले चार दिनों में सरकार उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाती, तो संघ ने 20,000 से अधिक युवाओं को देहरादून बुलाने का ऐलान किया है। दूसरी ओर, विपक्ष ने भी मुद्दा हाथ में ले लिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “देश में सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। पेपर चोर जानते हैं कि नौजवानों को नौकरी मिले या न मिले, वे चुनाव चुराकर सत्ता में बने रहेंगे। नौजवान सड़कों पर नारा लगा रहे हैं—पेपर चोर, गद्दी छोड़।”

युवाओं की जद्दोजहद

परेड ग्राउंड से लौटतीं टिहरी और पौड़ी की छात्राएं अमीशा और सोनी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। सोनी कहती हैं, “परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन जब पेपर लीक की खबर मिली तो दिल टूट गया। अब माता-पिता कहेंगे कि घर लौट आओ और शादी कर लो। हमारे पास इंतजार करने की सुविधा नहीं है।”

उनकी आवाज में वही बेचैनी झलकती है, जो आज उत्तराखंड के हजारों युवाओं में है। यह आंदोलन केवल पेपर लीक के खिलाफ नहीं, बल्कि भविष्य और भरोसे की लड़ाई बन चुका है।

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