यूक्रेन राष्ट्रपति ने कहा—पुतिन से मिलने को तैयार हूं, अब फैसला रूस का
मुख्य तथ्य
- ज़ेलेंस्की ने पुतिन से सीधी शांति वार्ता की इच्छा जताई।
- रूस ने अभी तक बैठक को लेकर स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
- ज़ेलेंस्की बोले—अगर रूस पीछे हटे तो अमेरिका कड़ा रुख दिखाए।
- ट्रंप ने कहा—संभव है कि पुतिन समझौता न करना चाहें।
- रूस के विदेश मंत्री ने बैठक की प्रक्रिया को “धीरे-धीरे” आगे बढ़ाने की बात कही।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने साफ कर दिया है कि वह रूस के साथ सीधे शांति वार्ता करने के लिए तैयार हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर मॉस्को इस बैठक से पीछे हटता है, तो अमेरिका को मजबूत प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
कीव में पत्रकारों से बातचीत में ज़ेलेंस्की ने कहा, “हमें रूस से द्विपक्षीय बैठक का प्रस्ताव मिला और मैंने तुरंत हामी भर दी। लेकिन सवाल यह है कि अगर रूस तैयार नहीं हुआ तो क्या होगा?”
उन्होंने आगे कहा, “अगर रूस तैयार नहीं होता, तो हम अमेरिका से सख्त कदम उठाने की उम्मीद करते हैं।”
ट्रंप की मध्यस्थता और शंका
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से मुलाकात की थी। ट्रंप इस वार्ता को मध्यस्थता के जरिए आगे बढ़ाना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि “संभव है कि पुतिन समझौता न करना चाहें।”
फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा, “मुझे लगता है पुतिन अब थक चुके हैं और सब लोग थक चुके हैं। लेकिन आखिरकार हमें अगले कुछ हफ्तों में पता चल जाएगा कि वह वास्तव में शांति चाहते हैं या नहीं।”
रूस का अस्पष्ट रुख
इसी बीच, अमेरिकी पहल पर हुई फोन कॉल में पुतिन ने कहा था कि वे बैठक के विचार के लिए “खुले” हैं। लेकिन रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मंगलवार को बयान देते हुए स्पष्ट किया कि किसी भी संभावित बैठक के लिए “क्रमबद्ध तैयारी” जरूरी होगी। उनके अनुसार, पहले विशेषज्ञ स्तर की चर्चाएं होंगी और फिर उच्च स्तर की वार्ता की ओर बढ़ा जाएगा।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप-प्रतिनिधि दिमित्री पोलियान्स्की ने एक अलग रुख अपनाते हुए कहा कि “किसी ने भी बैठक से इनकार नहीं किया है, लेकिन यह केवल औपचारिकता के लिए बैठक नहीं होनी चाहिए।”
आगे क्या?
इस पूरे घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर तनाव और अनिश्चितता को उजागर कर दिया है। जहां यूक्रेन वार्ता के लिए तैयार है, वहीं रूस का टालमटोल रवैया सवाल खड़े कर रहा है। अब निगाहें अमेरिका की भूमिका और आने वाले हफ्तों में ट्रंप की मध्यस्थता के नतीजों पर टिकी होंगी।